For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिन्हें आदत पड़ी हर बात में आँसू बहाने क़ई (ग़ज़ल)

अरकान-: मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन

जिन्हें आदत पड़ी हर बात में आँसू बहाने की,
तमन्ना वो न पालें फिर किसी से दिल लगाने की

सर-ए-महफ़िल कभी पर्दा नहीं करता था वो ज़ालिम
तो फिर अब क्या ज़रूरत पड़ गई है मुँह छुपाने की

लिखूंगा बात जो सच हो बिना डर के ज़माने में,
यहीं इक शर्त थी ख़ुद से कलम अपनी उठाने की

ख़बर अपनी नहीं रहती मुझे, हालात ऐसे हैं
खबर क्यूँ पूछते हो फिर मियाँ सारे जमाने की

बना ख़ुद रास्ता अपना हुनर है तेरे हाथों में,
किसी पत्थर के आगे क्या पड़ी है गिड़गिड़ाने की

भले जाएँ कहीं भी आसमाँ में उड़ के ये पंछी
नहीं वो भूलते हैं राह अपने आशियाने की

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 835

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on October 30, 2017 at 1:46pm
आद0 बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल पर उपस्थिति और हौसला अफजाई के लिए हृदय तल से आभार।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 29, 2017 at 11:09am
बहुतख़ूब बहुतख़ूब आदरणीय
Comment by नाथ सोनांचली on October 26, 2017 at 7:23pm
आद0 आशुतोष जी सादर अभिवादन। बहुत बहुत आभार आपका इस प्रोत्साहन के लिए।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 26, 2017 at 5:41pm
आदरणीय सुरेन्द्र जी हर शेर पसंद आया इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by नाथ सोनांचली on October 26, 2017 at 5:10am
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रोत्साहन से अभिभूत हूँ, आद0 सलीम जी। सादर अभिनंदन और आभार।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 25, 2017 at 8:06pm
बहुत खूब... बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक शुभकामनाएं
आ सुरेंद्र नाथ जी.
Comment by नाथ सोनांचली on October 25, 2017 at 1:04pm
आद0 महेंद्र जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी आत्मीय प्रशंशा और बधाई के लिए हृदय तल से आभार
Comment by नाथ सोनांचली on October 25, 2017 at 11:36am
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। आपकी मुक्तकंठ से प्रंशसा पाकर तोष मिला। आपका प्यार यूँही बना रहे।सादर आभार आपका।
Comment by नाथ सोनांचली on October 25, 2017 at 11:34am
आद0 भैया डॉ छोटेलाल सिंह जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पसन्द आयी, लिखना सार्थक हुआ। आपकी आत्मीय बधाई के लिए हृदय तल से आभार।
Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 9:01am

उम्दा ग़ज़ल है आ. सुरेन्द्र नाथ जी. मेरी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service