For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पावस रुत में ....

तृण तृण भीगा
प्रीत पलों का
सावन की बौछारों में
तड़पन भीगी
तन-मन भीगा
सावन की बौछारों में
बीती रैना
भीगे बैना
सावन की बौछारों में
पावस रुत में
नैना बरसे
सावन की बौछारों में
निष्ठुर पिया को
पल पल तरसे
सावन की बौछारों में
बादल गरजे
बिजली चमकी
सावन की बौछारों में
भीगी चौली
भीगी अंगिया
सावन की बौछारों में
चूड़ी खनकी
मिलन को तरसी
सावन की बौछारों में
पावस रुत में
तृप्ति भटकी
सावन की बौछारों में
नैन मधुशाला
भीगी बाला
सावन की बौछारों में
बिन प्याले ही
पी ली हाला
सावन की बरसातों में
लाज़-शरम का
तोड़ा घूंघट
सावन की बरसातों में
अधरपाश में
अधर ले सोयी
सावन की बरसातों में

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 542

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 18, 2017 at 7:22pm

आदरणीय समर कबीर साहिब सृजन में निहित बौछारों के भावों को मान देने का हार्दिक आभार।  सर धीरे धीरे बौछारों ने बरसात की शक्ल अख़्तियार कर ली , इसलिए ये हुआ। .. सर ये हंसी की बात थी वैसे लिखते लिखते फ्लो में बरसात आ गयी. . बस और कुछ नहीं सर। 

Comment by Samar kabeer on July 18, 2017 at 3:23pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,सावन के रंगों में रंगी अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आधी से ज़ियादा कविता में 'सावन की बौछारों में' और अंत की पंक्तियों में 'सावन की बरसातों में' ऐसा क्यूँ ?
Comment by Sushil Sarna on July 17, 2017 at 4:41pm

आदरणीय लक्षमण धामी जी सृजन के भावों को अपने स्नेहिल शब्दों से  मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2017 at 4:40pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी सृजन आपकी मनभावन   प्रशंसा का आभारी है। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 17, 2017 at 1:43pm
आ. भाई सुशील जी इस मनमोहक गीत के लिए हार्दिक बधाई ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 17, 2017 at 12:13pm

बेहद सुंदर रचना हुई है आदरणीय सुशिल सरना जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"डिलेवरी बॉय  मई महीने की सूखी गर्मी से दिन तप गया था। इतने सारे खाने के पैकेट लेकर तीसरे माले…"
1 minute ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। यह लघुकथा पाठक को गहरे…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान'मैं सुमन हूँ।' पहले ने बतया। '.........?''मैं करीम।' दूसरे का…"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service