For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार बहत्तरवाँ आयोजन है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

21 अप्रैल 2017 दिन शुक्रवार से 22 अप्रैल 2017 दिन शनिवार तक
इस बार छन्दों में पुनः उन्हीं छन्दों को दुहरा रहे हैं, जिन पर पिछले आयोजन में हमने काम किया है. अर्थात,  सार छन्द और कुण्डलिया छन्द को रखा गया है. -

यह जानना रोचक होगा, कुण्डलिया छन्द दोहा छन्द और रोला छन्द का समुच्चय ही है !  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है. 

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

कुण्डलिया छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

सार छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

[प्रस्तुत चित्र निजी एलबम से है]

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 21 अप्रैल 2017 दिन शुक्रवार से 22 अप्रैल 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 8490

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय सत्यनारायण जी, भारतीय भाषाओं, विशेषकर हिंदी और उर्दू के रचनाकारों में शब्दों को लेकर जो ऊहापोह हुआ करती है उसका कारण दोनों भाषाओं के मूल का एक होने के बावज़ूद आज उनके बीच कृत्रिम अंतर का होना है. और यह अंतर मात्र और मात्र शब्दों के आधार पर द्रष्टव्य है.

उर्दू और हिंदी की शुरुआत एक ही ढंग से हुई थी. प्रारम्भ के उर्दू कवियों की भाषा को अगर ध्यान से देखें तो आपको भी भान होगा कि तब उर्दू के स्वरूप और हिंदी के स्वरूप में विशेष अंतर नहीं था. बल्कि उस आम भाषा को अमीर खूसरो ने हिन्दवी ही कहा था. या मीर की प्रारम्भिक रचनाओं और उनके विन्यासों को देख लें. आगे के वर्षों में तो भारतेन्दु ने भी हिंदी भाषा के लिए कई बार हिन्दवी का प्रयोग किया है. लेकिन मीर और खूसरो के बाद उर्दू भाषा की रचनाओं से ही नहीं बल्कि भाषा से भी क्षेत्रीय या आंचलिक शब्दो को बलात निकाल-निकाल कर फ़ारसी और अरबी के शब्द पिरोये गये. इतना कि क्लिष्ट फ़ारसी शब्दों का धड़ल्ले से प्रयोग होने लगा. फलस्वरूप प्रतिक्रिया होनी ही थी. मीर के पचास-सत्तर वर्षों के बाद हिन्दी भाषा में ज़बरदस्ती संस्कृत से उधार लिए शब्दों को घुसेड़ा जाने लगा. और यहीं से एक आम भाषा मात्र शब्दों के प्रयोग के कारण दो भाषा के रूप में सामने आयी.

उर्दू के हिमायती फ़ारसी अरबी शब्दों की पवित्रता का ख़याल रखते हैं. लेकिन अन्य भाषा के शब्दों को मनमाना रूप दे देते हैं और तदनुरूप प्रयोग करते हैं. क्यों कि लफ़्ज़ के अनुसार उनकेमूल रूप में प्रयोग संभव नहीं हो पाता. सो, ऐसे में शब्दों के रूप का बदलना लाज़िमी है. लेकिन अपेक्षा अवश्य रहती है कि हिन्दी में फ़ारसी या अरबी से आयातित शब्दों की वैन्यासिक पवित्रता बनी रहे. जबकि ऐसा फोनेटिक्स के विज्ञान के कारण या भाषाशास्त्र को जानें तो उसके कारण संभव नहीं होता. अतः फ़ारसी अरबी ही नहीं अंगरेजी के शब्दों का स्वरूप भी बदल कर उर्दू और हिन्दी में स्वीकार किया जाता है. ऐसा उर्दू या हिन्दी ही नहीं संसार की सभी भाषाओं में होता है. भारतीय ठाकुर अंगरेजी में टैगोर हो जाते हैं या बसु बोस ! हिन्दी ही नहीं सभी भाषाओं में फोनेटिक्स की कसौटी पर आयातित शब्दों को अपने अनुसार स्वरूप मिलता रहा है, और तदनुरूप उनका प्रयोग होता रहा है.

आगे आप स्वयं समझ सकते हैं.

सादर   

विस्तार से जानकारी साझा कर मार्गदर्शन  हेतु आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ. आदरणीय  सादर 

वाहह,वाहहहह,प्रदत्त चित्र पर बहुत सुंदर कुण्डलिया छंद।
प्रेम विरोधी कृत्य करे,आखिर क्यों दुनिया।..बहुत खूब।

आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सादर धन्यवाद 

लिखी कहानी प्रेम की, देख मिला यह चित्र |

अच्छा परिभाषित किया , सुन्दरता से मित्र ||

सुन्दरता से मित्र, जगत का सत्य बताया,

कैसे जग के कृत्य , छंद में है समझाया,

हमने भी हर बात, आपकी दिल से मानी,

तभी कहा है छंद, लगे ज्यों लिखी कहानी ||

आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी सादर, दोनों ही छंद प्रदत्त चित्र के भाव पर सुंदर रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. यह अवश्य है की जमाना/पैमाना थोड़ा खटक रहा है. सादर.

आदरणीय अशोक रक्ताले जी सादर, 

     

       रचना पर आपकी  छंदात्मक प्रतिक्रिया पढ़कर अभिभूत हूँ. सादर धन्यवाद 

       जी हाँ, ज़माना/पैमाना पर मेरा ध्यान ही नहीं गया मै तो केवल   निगरानी एवं कहानी की तुकांतता में ही उलझा रहा 

       इस ओर ध्यान दिलाने हेतु आपका आभारी हूँ. 

        

वाह वाह वाह आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी, क्या खूब कुण्डलिया छंद रचे हैं आपने. दोनो ही छंद शानदार हुए हैं और चित्र के मूल भाव को शाब्दिक करने के क्रम में प्रभावकारी भी हैं. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर 

आदरणीय मिथिलेश जी प्रस्तुति को सराहने एवं मान देने हेतु सादर धन्यवाद 

क्या कहने हैं आ० सत्यनारायण सिंह जी, दोनों कुण्डलिया छंद अति सुन्दर रचे हैं, ढेरों ढेर बधाई निवेदित है.  

सादर आभार आदरणीय 

प्रदत्त चित्र को सार्थक करती बहुत ही सुंदर कुण्डलिया आद० सत्यनारायण सिंह भाई जी बहुत- बहुत बधाई आपको |

सादर धन्यवाद आदरणीया 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
17 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service