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आओ प्रिय बैठो पास ,

क्यों रहती हो तुम उदास ,

दिल में तुम हो मेरे खास,

देखो हरी-हरी ये घास,

जगा रही है मन में प्यास,

चितवन देख तुम्हारी आज,

लगती मुझको तुमसे आस,

पर तुमको क्यों आती लाज,

प्रेम को समझो तुम भी काश,

मैं खोता तेरे ख्वाबों में,

तुम भी खोकर देखो आज,

आओ प्रिय बैठो पास ,

क्यों रहती हो तुम उदास.

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by Naval Kishor Soni on January 30, 2017 at 11:30am

Thanks  Dr Ashutosh Mishra ji.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 29, 2017 at 2:44pm
आदरणीय नवल जी इस रचना पर हार्दिक बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

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