For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (बहुर-फेलुन फेलुन फेलुन फा )

आगे-आगे बढ़ता चल ,
ग़ैरों की भी सुनता चल ।
बिछुड़ गये जो राहों में ,
फिर तू उनसे मिलता चल ।
तूफाँ से टकराना है ,
हिम्मत कर तू बढ़ता चल ।
नफ़रत के शोलों में भी ,
गीत वफ़ा के लिखता चल ।
माना तेरे दुख बेहद ,
फूलों जैसा खिलता चल ।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 974

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 11, 2017 at 5:42pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी, इस ग़ज़ल के काफियाबंदी पर संशोधन की प्रतीक्षा कर रहा था. जैसा कि गुनीजनों ने कहा है. यह मंच की परंपरा रही है कि यदि त्रुटी के सम्बन्ध में गुनीजन मार्गदर्शन करते हैं तो यथासमय उसे संशोधित कर लिए जाता है. बहरहाल इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Mohammed Arif on January 8, 2017 at 6:37pm
आदरणीय गिरिराज भंडारीजी , आपका कहना ठीक है । आगामी ग़ज़लों में ध्यायान रखूँगा , मार्ग-दर्शन की छत्रछाया बनाये रखें । सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 8, 2017 at 1:23pm

आदरणीय मो. आरिफ भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ आपको ।
आ. समर भाई जी ने सही कहा है -- मतले मे  बान्धा गया काफिया ... बढता , और सुनता --  दोष पूर्ण है   ,  स्मान व्यंजन  ता  के पहले का स्वर मेल भी होना चाहिये  ...  जैसे बढ़ाता  और सुनाता    --  ता के पहले   दोनों मे  आ स्वर  मेल हो रहा है ...

Comment by Mohammed Arif on January 7, 2017 at 6:02pm
आधरणीय आशुतोषजी , बहुत-बहुत आभार !
Comment by Mohammed Arif on January 7, 2017 at 6:00pm
आलरणीय गोपाल नारायणजी सादर वंदे , कुशल मार्ग-दर्शन के लिए धन्यवाद । आगामी गज़लों में सावधानी रखूँगा ।
Comment by Mohammed Arif on January 7, 2017 at 5:52pm
आदरणीय रामबली गुप्ताजी आदाब , आपकी निरपेक्ष प्रतिक्रिया से मुझको संबल मिला । आगामी मार्ग-दर्शन भी बनाए रखें ।
Comment by Mohammed Arif on January 7, 2017 at 5:45pm
आदरणीय महेन्द्र कुमार जी आदाब , ग़ज़ल पसंद आई इसके लिए बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on January 7, 2017 at 5:41pm
आदरणीय जनाब समर कबीर साहब आदाब , हौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया । क़ाफिये से मताल्लिक आगामी ध्यान रखूँगा ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2017 at 4:57pm
इस सूंदर प्रस्तुयि के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय आरिफ जी
Comment by Samar kabeer on January 7, 2017 at 3:26pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
ग़ज़ल में क़ाफिये की भूमिका अहम होती है,इस और ध्यान दीजिये,।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
11 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
54 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service