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चाँद बेनूर वफ़ा शर्म हया के हद में, (ग़ज़ल)

बहरे रमल मुसम्मन मखबून महजूफ,
2122 1122 1122 22,
इश्क तो पाक था बेदाद हुआ जाता है।
कातिले फ़ौज ही आजाद हुआ जाता है। 1
-------
चाँद बेनूर वफ़ा शर्म हया की हद में,
जुल्म कर अब्र ये आजाद हुआ जाता है। 2
------
लाख ही यत्न करो मर्ज बढ़ा ही जाए,
बात बेबात ही जेहाद हुआ जाता है। 3
------
हो रही खाक लगी आग बसारत देखो,
था बशर मोम का बर्बाद हुआ जाता है। 4
------
ऐ खुदा शाद अता रूह को फ़रमा देना,
अब जुदा जीभ से हर स्वाद हुआ जाता है। 5
-------
ओढ़कर दर्द ग़ज़ल झूम रही गा गाकर,
साज आवाज है इरशाद हुआ जाता है। 6
--------
छोड़ दो आप छड़ी अब तो चलाना हम पर,
जाहिरा नेक सबक याद हुआ जाता है। 7
--------
वे मिला आँख यूँ बेचैन किये जाएगें,
बेअसर प्यार में फरियाद हुआ जाता है। 8
_______________________
मौलिक एवम् अप्रकाशित रचना,

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Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 17, 2016 at 11:21am
बासलाम शुक्रिया आली जनाब डॉ आशुतोष मिश्रा जी आपकी इनायतों के लिए।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 16, 2016 at 11:10pm
आदरणीय सुनील जी इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 15, 2016 at 11:59am
आभार आदरणीय सुरन्द्र नाथ जी प्रोत्साहित करने हेतू,स्नेह यूँ ही बनाये रखें।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 15, 2016 at 8:56am
जी बेहद शुक्रिया आली समर कबीर जी, यूँ ही इनायत बनाए रखें
Comment by नाथ सोनांचली on December 15, 2016 at 2:49am
आद0 सुनील प्रसाद जी सादर अभिवादन, उम्दा गजल के लिए दाद के साथ बधाई कबूल फरमाएं
Comment by Samar kabeer on December 14, 2016 at 11:37pm
जी नहीं,वचन दोष नहीं होगा ।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 14, 2016 at 10:40pm
दूसरे शैर के उला में 'वफ़ा शर्म हया के हद में' क्या की कर देने से वचन दोष तो नहीं हो जायेगी?आदरणीय समर कबीर जी ये शंका है।
Comment by Samar kabeer on December 14, 2016 at 9:32pm
कृपया अपना प्रश्न स्पष्ट करें ।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 14, 2016 at 8:50pm
सादर नमन श्रद्धेय समर कबीर जी,एक शंका दूर करें वफ़ा शर्म हया इन तीन हदों के लिए एकवचन'की जगह बहुवचन में के प्रयोग करना क्या उचित नही समाधान करें सादर फिर सभी संसोधन एक साथ करता हूँ
Comment by Samar kabeer on December 14, 2016 at 5:13pm
मतला अब बढ़िया हो गया है,इसके लिये बधाई स्वीकार करें ।
दूसरे शैर के ऊला मिसरे में'हया के'स्थान पर "हया की "करें,हया स्त्रीलिंग है ।
चौथे शैर में 'बसर'को "बशर"करें ।
छटे शैर में 'इरसाद'को "इरशाद"करें ।

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