For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया छंद - लक्ष्मण रामानुज

कुण्डलिया छंद 
=========
तिल हो गोरे गाल पर, निखरे गोरे गाल,
अला बला फटकें नहीं, किसकी गलती दाल
किसकी गलती दाल, पस्त हो सबकी हिम्मत 
रखें फटें में पाँव, कौन की खोटी किस्मत | 
चन्दा के भी दाग, सिन्धु में प्रेम सलिल हो 
सुन्दरता का चिन्ह, अगर गौरी के तिल हो |

- लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

Views: 692

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 6, 2016 at 10:55am

 कुंडलिया छंद सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका भाई रामबली गुप्ता जी 

Comment by रामबली गुप्ता on December 5, 2016 at 6:30pm
अच्छी कुण्डलिया बन पड़ी है बधाई स्वीकार करें भाई लक्ष्मण रामानुज जी
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 5, 2016 at 1:02pm

छंद सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री मिथिलेश वामनकर जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 4, 2016 at 8:42pm

आदरणीय लक्ष्मण सर, बहुत बढ़िया कुण्डलिया छंद लिखा है आपने. हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 4, 2016 at 1:07pm

जी | कुंडलिया छंद पर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आपका श्री गिरिराज भंडारी जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 3, 2016 at 5:37pm

हार्दिक आभार आपका श्री विजय निकोरे जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 3, 2016 at 10:06am

आदरणीय लक्ष्मण भाई , बढिया कुन्डलिया  की रचना की आपने , हार्दिक बधाई आपको ।

गोरी ही  करना सही है -- गौरी अलग अर्थ दे रहा है ।

Comment by vijay nikore on December 2, 2016 at 3:32pm

बहुत सुन्दर। हार्दिक बधाई, लक्ष्मण जी।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 2, 2016 at 1:38pm

 नमस्ते समर कबीर साहब | कुंडलिया छंद पसंद करने के लिए हार्दिक आभार स्वीकारे | सादर 

Comment by Samar kabeer on December 1, 2016 at 5:09pm
जनाब लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी आदाब,अच्छा लगा आपका कुण्डलिया छन्द,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
पहली पंक्ति में दोनों जगह 'गोरें' को "गोरे" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service