For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चिरौंजीलाल बड़े पेशोपेश में थे, एक बार तो उनको लगा कि उनकी लुगाई ने बात बस यूँ ही कह दी, शायद बिना ज्यादा कुछ सोचे ही| लेकिन जब उन्होंने गौर से सोचा तो चेहरे पर चिंता की लकीरें दौड़ गईं कि भला मजाक में भी कोई ऐसा कहता है|
हफ़्तों क्या महीनों से ही घर में चर्चा चल रही थी और उनको बार बार याद दिलाया जा रहा था| वह एक कान से सुनते और दूसरे से निकाल देते, आखिर शादी के १५ वर्षों में इतना तो उन्होंने सीख ही लिया था| जब उनको लगता कि लुगाई समझ रही है कि वह अनसुना कर रहे हैं तो हाँ हूँ भी कह देते| लेकिन पिछले कुछ दिनों से घूम फिर के वही बात बार बार सामने आती और चिरौंजीलाल मंजे हुए राजनेता की तरह आश्वासन दे डालते| बीच बीच में उनको ये भी सुनने को मिलता कि शर्माजी ने अपनी पत्नी को ये देने का वादा किया है और वर्माजी ने ये| कभी कभी तो उनको सच में लगता कि खरीद ही लें, बेचारी लुगाई ने आजतक कुछ माँगा भी नहीं है उनसे, जो भी दे दिया, ख़ुशी ख़ुशी ले लेती है| इसी चक्कर में एकाध बार वह दूकान भी गए लेकिन दाम देखकर ऐसा झटका लगता जैसे बिजली का तार छू गया हो| फिर बेख़ौफ़ महंगाई और अपनी डरी हुई तनख्वाह भी याद आती तो मन से यह विचार कपूर की तरह काफूर हो जाता|
कभी कभी तो उनको ये भी लगता कि नाहक ही घर में केबल लगवा लिया, सारे फसाद की जड़ तो यही है| पहले कहाँ ये सब लफड़ा था, बस ज्यादा से ज्यादा मंदिर चले गए और कुछ चाट वगैरह खा के आ गए| लेकिन ये केबल वाले तो जब देखो तब कुछ न कुछ ऐसा दिखाते ही रहते हैं| और इन भोली भाली महिलाओं का क्या कसूर, वो बिचारी झांसे में आ जाती हैं| लेकिन अगर केबल कटवा दिया तो उनको भी समाचार के चैनल कहाँ देखने को मिलेंगे| अब ऑफिस में चर्चा होती ही रहती है कि ज़ी न्यूज़ ने ये दिखाया, स्टार न्यूज़ ने ये दिखाया, तो खुद भी तो देखना पड़ेगा उस चर्चा में शामिल होने के लिए| भला आजकल कौन दूर दर्शन के समाचारों के बारे में बात करके पिछड़ा महसूस करना चाहता है| और देर रात के कुछ कार्यक्रम, जिसको देखने के बाद उनको लगता कि काश किसी और देश में जन्म लिया होता तो सिर्फ टी वी पर ही नहीं, साक्षात् ऐसे देवियों के दर्शन मिलते|
खैर हामी तो उन्होंने भर दी थी और लगातार बढ़ते दबाव के चलते कुछ पैसों का भी इंतज़ाम कर लिया था| लेकिन आज उन्होंने एक और चांस लिया ये सोचकर कि शायद लुगाई भूल जाये तो बच जायेंगे| हाँ एक सुंदर सी साड़ी जरूर ले ली थी उन्होंने और लगभग आस्वश्त हो चले थे कि ये चाल कारगर रहेगी| शाम को जल्दी से घर पहुंचे और खुश होने का अभिनय करते हुए उन्होंने लुगाई को साड़ी पकड़ा दी| लुगाई के चेहरे पर एक बार तो चमक आयी, फिर वो पैकेट उलट पलट कर देखने लगी| चिरौंजीलाल समझ गए कि लगता है लुगाई भूली नहीं है तो उन्होंने आखिरी पासा फेंका "इस साड़ी में तुम गज़ब की सुंदर लगोगी, जरा जल्दी से पहन के तो दिखाओ"|
लुगाई ने एक बार उनकी तरफ निराशा भरी निगाहों से देखा और बोली "हाँ, वो तो ठीक है लेकिन आपके वादे का क्या हुआ"|
अब चिरौंजीलाल समझ गए थे कि चाहे वो कुछ भी कर लें, ये बला टलने वाली नहीं है| उन्होंने एक बार और प्रयास किया समझाने का और बोले "क्या बताऊँ, बहुत भीड़ थी दूकान में| मैं गया था लेकिन हिम्मत नहीं पड़ी, किसी और दिन पक्का ले आऊंगा"|
लुगाई अब एकदम उदास हो गयी और बुझे हुए स्वर में बोली "अब शर्माईन को क्या दिखाउंगी, मैंने तो कह भी दिया था कि इस बार एक चेन मुझे भी मिल रही है| उसका जला चेहरा देखती तो दिल में ठण्ड पड़ जाती, मुझे कितनी बार जलाया है उसने"|
चिरौंजीलाल भी दुखी हो गए, उनको लगने लगा कि ले ही आना चाहिए था, लेकिन अब दुबारा कौन जाए लेने के लिए| इन्ही सब विचारों में खोये हुए थे कि उनके कान में ये शब्द पड़े "ठीक है, अब अगले साल से मैं करवा चौथ का व्रत नहीं करुँगी"|
चिरौंजीलाल तो जैसे आसमान से गिरे, इतना तो उनको भी पता था कि ये व्रत उन्हीं की लंबी उम्र के लिए किया गया है| अब अगले साल से लुगाई व्रत नहीं करेगी तो कहीं उनकी लंबी उम्र पर कोई संकट तो नहीं आएगा, थोड़ी घबराहट छा गयी उनके मन में| क्या करें, क्या नहीं सोचते हुए उनके कदम अपने आप ही घर से बाहर निकल पड़े| पीछे से आती लुगाई की आवाज़ अब उनको सुनाई नहीं दे रही थी|
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 592

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on October 25, 2016 at 12:19pm

बहुत बहुत आभार आ रामबली गुप्ता जी 

Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2016 at 1:16am
वाह भाई विनय कुमार जी बेहतरीन लघुकथा हुई है दिल से बधाई लीजिये।
Comment by विनय कुमार on October 21, 2016 at 1:35pm

बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब 

Comment by Samar kabeer on October 20, 2016 at 8:49pm
जनाब विनय कुमार जी आदाब,बहुत ही उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
34 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया इस शेर की दूसरी पंक्ति में…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. मतले की कठिनाई का अच्छा निर्वाह हुआ।…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सहमत"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गुणीजनो के सुझावों से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
2 hours ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service