For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत डरता है ......

बहुत डरता है ......

बहुत डरता है
मनुष्य अपने जीवन के
क्षितिज को देखकर
अपनी आकांक्षाओं के
असीमित आकाश में
जीवन के
सूक्ष्म रूप को देख कर
कल्प को अल्प
बनता देखकर

सच ! बहुत डरता है
मुखौटों को जीने से

थक जाता है 
संवदनाओं के
आडंबर के बोझ ढोने से

हार जाता है 
दुनिया के साथ जीते जीते
डर जाता है
हृदय की गहन कंदराओं में
अपने ही अस्तित्व की
मौन उपस्थिति से

हाँ ! बहुत डरता है
मनुष्य
अपने आरम्भ की
दीर्घ राह का
अंतिम छोर देखकर
जीवन की पगडंडियों का
अंतिम मोड़ देखकर
निर्जीव देह पर
दुनियावी मुखौटों का
दिखावटी विलाप देखकर

उफ्फ !
ये हर पल डरता मनुष्य
क्यों यथार्थ को
नहीं जी पाता

काया को जीते जीते 

आकांक्षाओं की अग्नि में
देह के संग संग
ये स्वयं भी
अपने यथार्थ के साथ
चिरनिद्रा में
सो जाता है


सुशील सरना
मौखिक एवं अप्रकाशित

Views: 406

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 11, 2016 at 1:40pm

आदरणीय  गिरिराज भंडारी     जी आपके आत्मीय स्नेह से रचना उपकृत हुई। आपकी सूक्ष्म दृष्टि का दिल से आभार। पढ़ने के बाद भी टंकण त्रुटि रह गयी।  अभी दुरुस्त किये देता हूँ। तहे दिल से आपका शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on August 11, 2016 at 1:37pm

आदरणीय  सुरेश कुमार 'कल्याण   जी आपके आत्मीय स्नेह से रचना उपकृत हुई। तहे दिल से आपका शुक्रिया। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2016 at 12:50pm

आदरणीय सुशील भाई , अच्छी लगे आपकी वैचारिक प्रस्तुति , हार्दिक बधाई ।

अस्तितिव    को  अस्तित्व  कर लीजियेगा

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 11, 2016 at 12:35pm
आदरणीय श्री सुशील सरना जी बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति हुई है । इन्सान के स्वभाव को बहुत सुंदर उकेरा है । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Sarna on August 10, 2016 at 6:31pm

आदरणीय  Harash Mahajan    जी  प्रस्तुति में निहित भावों को आत्मीय सम्मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Harash Mahajan on August 10, 2016 at 5:02pm

आ० Sushil Sarna  जी बहुत ही सुंदर पेशकश !!

"बहुत डरता है
मनुष्य अपने जीवन के
क्षितिज को देखकर"

साभार !!

Comment by Sushil Sarna on August 10, 2016 at 12:49pm

आदरणीय  Dr. Vijai Shanker    जी  प्रस्तुति में निहित भावों को आत्मीय सम्मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 10, 2016 at 10:36am
जीवन के क्षितिज और अपनी आकांशाओं के वशीभूत डरता हुआ मनुष्य। बहुत सुन्दर वर्णन , बहुत बहुत बधाई , आदरणीय सुशील सरना जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service