ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सभी सदस्यों को एडमिन का प्रणाम.
यह घोषित करते हुये मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है कि OBO पर पोस्ट होने वाली अच्छी रचनाओं को सम्मानित करने की एक अनूठी पहल आपके OBO प्रबंधन टीम द्वारा की जा रही है, प्रत्येक महीने में ओपन बुक्स ऑनलाइन पर पोस्ट होने वाली रचनाओं से किसी एक सर्वश्रेष्ठ रचना को चुनकर उसे मुख्य पृष्ठ पर महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना ( Best Creation of the Month ) के रूप में लेखक / लेखिका के छाया चित्र के साथ प्रकाशित किया जायेगा |
इसके लिये ओपन बुक्स ऑनलाइन के प्रधान संपादक की अध्यक्षता मे एक पांच सदस्यों की निर्णायक कमेटी बनाई गई है जो प्रत्येक महीने के 1 से लेकर माह की आखिरी तारीख तक पोस्ट होने वाली रचनाओं से अपनी-अपनी पसंद की किन्ही दो रचनाओं का चुनाव कर प्रधान संपादक को देंगे, पुनः उन चुनी हुई रचनाओ से प्रधान संपादक महोदय किन्ही एक रचना का चुनाव करेंगे जो उस महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना होगी तथा उस रचना को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" के रूप मे अगले महीने के 5 तारीख तक मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित कर दिया जायेगा |
महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना ( Best Creation of the Month ) के चयन का अंतिम निर्णय OBO के प्रधान संपादक का होगा तथा इसपर किसी भी सदस्य या पाठक को टिप्पणी करने का अधिकार नहीं होगा |
संशोधन :-
पुरस्कार का नाम :- "महीने की सर्वश्रेष्ट रचना पुरस्कार"
पुरस्कार की राशि :- रु. 551/- मात्र ( अब 1100/-जनवरी 2013 से सशोधित)
पुरस्कार के प्रायोजक :- ( जनवरी 2012 से दिसंबर 2012 तक )
गोल्डेन बैंड इंटरटेनमेंट ( G-Band )
H.O.F-315, Mahipal Pur-Ext. New Delhi.
जनवरी 2013 से पुरस्कार राशि रु. 1100/- Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali के सौजन्य से कर दिया गया है ।
New :- दिनांक १ जनवरी २०१४ के प्रभाव से प्रायोजक मिल जाने तक नगद पुरस्कार राशि प्रदान नहीं की जायेगी, यह पोस्ट इस हद तक संशोधित |
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माह March-२०११ / प्रकाशित 05.04.11 से 05.0511
रचनाकार :-श्री राजेश शर्मा
गृह स्थान :-ग्वालियर म.प्र.
शीर्षक :- "अक्षत,हल्दी छूकर सपने"
अक्षत,हल्दी छूकर सपने,द्वारे-द्वारे जाएंगे.
शायद कुछ लौटे आमंत्रण,अब स्वीकारे जाएँगे.
जबसे कोई मौन,दृगों पर,होकर एकाकार बँटा,
मन के भीतर जाने क्या-क्या,जाने कितनी बार बँटा.
गीतों के घर,मुझसे पहले,ये बँटवारे जाएँगे.
पूछे दो बूंदों का सागर,पनघट रीत कहाँ बैठा है,
दिखतीं जहाँ परिधियाँ केवल,मेरा मीत वहां बैठा है.
नहीं पहुचती जहाँ कल्पना,क्या हरकारे जाएँगे.
पलक-पाँवडों की पीड़ा ने,विकल किया फिरसे तन-मन,
बाहर खुशबू ,भीतर-भीतर,एक सुलगता चन्दन वन.
कैसे अंगारों पर चलकर,दिन,पखवारे जाएँगे.
काँधों पर सूरज को ढ़ोया,आँखों में बरसात कटी,
आते-जाते दिन बीता और,गाते-गाते रात कटी.
लेकर सजल उनींदी आँखें,हम भिनसारे जाएँगे.
माह April-२०११ / प्रकाशित ०५.०५.११ से ०४.०६.११ तक
रचनाकार :-श्री अजय कुमार बोहत
गृह स्थान :-रूड़की, उत्तराखंड
वर्तमान स्थान :-दिल्ली
शीर्षक :- "हिंसा"
यूँ तो
माह मई-२०११ / प्रकाशित ०५.०६.११ से ०५.०७.११
रचनाकार :-श्रीमती वंदना गुप्तागृह स्थान :-दिल्ली
शीर्षक :-"बंजर जमीन पर पौध नहीं उगा करती"
वो मेरे हाथ से
लकीरें चुरा ले गया
देखो कोई नज़्म
आज उतरी ही नही
हथेली पर फूल बनकर
रेखाओं के बिना
कुमकुम को तरसती
किसी विधवा की
सूनी माँग सी
सपाट हथेली
नही जानती
बंजर जमीन पर
पौध नही उगा करती
इस रचना के लिये पुनः बधाई.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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