For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कन्या दान के बाद से बिदाई तक लगातार रोती रही । रोते रोते सोफे पर बेसुध सी पडी़ रही।सभी बिदाई में व्यस्त जो थे।

दादा जी ने गोदी में उठाया,"उठ बिट्टो खाना खा ले, बुआ तो गई।"
तुनक कर गुस्से से बोली "नहीं कुछ नहीं खाउंगी आपने मेरी कल्लो बुआ और लाली बछिया दोनों को दान में दे दिया।बुआ को दूल्हा अपने साथ ले गया।"
"बुआ की शादी हुई है बिट्टो,बे तुम्हारे फूफा जी है।"
"कोई फूफा जी नहीं, मैं और बुआ दोनों रोते रहे फिर भी बुआ को साथ ले गए।"
"अगले हफ्ते ले आयेगे बुआ को।"
"अब नहीं आने बाली बुआ ,दान में जो दे दी आपने।"
"नहीं बिट्टो,ऐसा नहीं कहते।"
"हां, पंडित जी कह रहे थे ,दान की बछिया के दांत नहीं देखते,बंधी रहेगी कोने में एक खूंटे से।"
" तो क्या दादू ,आप मुझे भी दान में दे दोगे?"
मुझे नहीं बंधना खूंटे से ।

पवन जैन ,जबलपुर ।
(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 639

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on April 23, 2016 at 8:35pm

आदरणीय पवन जैन जी, नचिकेता का अपने पिता से प्रश्न और बोट्टो का अपने दादा जी से प्रश्न, "आप मुझे भी दान में दे दोगे?" दोनो में प्रश्न की समानता है. इस प्रश्न के उत्तर में कई गुत्थियाँ उलझती और सुलझती जायेंगी.

सादर.

 

Comment by Pawan Jain on April 23, 2016 at 8:35am

आभार आदरणीय नीता कसार जी ।

Comment by Nita Kasar on April 20, 2016 at 2:23pm
परंपराओं की बेड़ियाँ भी कैसी कैसी कन्या दान करते है पर वर दान क्यों नही ।सारगर्भित संदेशा देती कथा है बधाई आपके आद०पवन जैन जी ।
Comment by Pawan Jain on April 20, 2016 at 2:03pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सुरेंद्र कुमार शुक्ला जी ।

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 19, 2016 at 5:28pm

दान की बछिया के दांत नहीं देखते,बंधी रहेगी कोने में एक खूंटे से....

सुन्दर लघु कथा ...बहुत कुछ कह गयी ये ..अब बदलाव हो रहा है और हो...
भ्रमर ५

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service