For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बीज नए पुष्पों के बोए साल नया (ग़ज़ल)

22 22 22 22 22 2

सबके मन की गांठें खोले साल नया
बिखरे रिश्तों को फिर जोड़े साल नया

भूखे को दे रोटी, निर्धन को धन दे
सबकी खाली झोली भर दे साल नया

ग़म से आहत दिल डूबा है आशा में
शायद थोड़ी खुशियाँ लाए साल नया

नभ में कदम बढ़ाता वो सूरज ही है
निकल पड़ा है या मुस्काए साल नया

मधु-हाला निःशुल्क मिलेगा मालिक से
कहता 'हरिया' जल्दी आए साल नया

जीवन का हर क्षण हो जाए सुरभित "जय"
बीज नए पुष्पों के बोए साल नया
====================

जयनित कुमार मेहता
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 491

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ajay sharma on January 4, 2016 at 10:29pm

मधु-हाला निःशुल्क मिलेगा मालिक से
कहता 'हरिया' जल्दी आए साल नया............bahut salike se prastut vyanga ke liye  wah wah wah

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 4, 2016 at 7:28pm

सबके हक़ में दुआ अच्छा है .........................

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 3, 2016 at 6:57pm
वााााह-
//सबके मन की गांठें खोले साल नया
बिखरे रिश्तों को फिर जोड़े साल नया
//-- तमाम उम्मीदों को समेटे ख़ूबसूरत ग़ज़ल की पेशकश के लिए तहे दिल बहुत बहुत मुबारकबाद आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on January 2, 2016 at 8:45pm
आदरणीय समर कबीर साहब, बहुत-बहुत शुक्रिया आपका हौसला-आफजाई के लिए।।
Comment by Samar kabeer on January 2, 2016 at 2:41pm
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service