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वाह्ह बहुत सुन्दर लघु कथा हुई हार्दिक बधाई अर्चना जी
बहुत खूब कथा कहीं आपने ..बधाई
" हाइवे "
हाइवे पर अक्सर हो रही लूटपाट की खबरों से डरे प्रिया और अमित डरते डरते हाइवे से गुजर रहे थे ।तभी सामनें उन्हें एक आदमी खड़ा दिखा जो जोर जोर सें चिल्ला रहा था।
"भगवान के लिए गाड़ी रोक दिजिये साहब मेरी बीबी मर जायेगी।रहम किजिये।रोक दिजिये गाड़ी ।"
"कोई जरुरत नहीं है अमित सब नाटक के इन लोगों का "
प्रिया अमित को समझातें हुए बोली।प्रिया की बात मान कर आगे बढ़ा दी गाड़ी अमित ने पर जरा सी आगे जाने पर फिर पीछे आकर आखिर रोक ही दी गाड़ी उसने ।अमित के गाड़ी रोकते ही वो आदमी तेजी से आया और फिर अमित के पैरों पर गिर कर बोला।
"बहुत दया आपकी मालिक मेरी बीबी की तबियत बहुत खराब है दुनिया के सभी लोगों की तरह वो भी असमय मरना नहीं चाहती बस एक ही रट मुझे मरना नहीं है मुझे जीने दों कुछ करों मेरे लिए आपकी मदद से शायद मैं उसकी यह ख्वाहिश पूरी कर सकू"।
फिर अमित की मदद से वो गाव वाले ने अपनी बीबी को गाड़ी मे डाल कर वो लोग अस्पताल की और रवाना हो गये ।
रास्ते में अमित प्रिया से बोला ।
"तुम अपनी जगह सही थी प्रिया पर दुनिया में हर इन्सान ने तो धोका देने का संकल्प नहीं ले रखा ना "
.
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
हमेशा की तरह ही बहुत बढ़िया विषय चुना है आपने आदरणीया नेहा जी और रचना के साथ पूर्ण न्याय भी किया है| लघुकथा के इस सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
कुछ घटनाएँ सबको उल्टा सोचने पर मजबूर कर देती हैं , बढ़िया रचना विषय पर । बहुत बहुत बधाई
धोखा-फरेब की बहुतायत ने इंसानी सोच को बदल दिया है | दुसरे के दुष्कर्मों की सजा दुसरे को मिल जाती है बहुधा | मनुष्य ही तो है हम | ठीक समय पर विवेक जागना ईश्वर की मर्जी थी | बढिया विषय और सुंदर निर्वाह नेहा सिस ! Gr888...
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