For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नया कोई सपना सजाकर तो देखो| -बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’

अरकान -    122      122      122    122  

नया कोई सपना सजाकर तो देखो|

परायों को अपना बनाकर तो देखो

 

लगेगी ए दुनिया तुम्हें खूबसूरत,

ज़रा दिल से नफ़रत भुलाकर तो देखो|

 

सफलता मिलेगी तुम्हें भी यकीनन,

कदम अपने तुम भी बढाकर तो देखो|

 

बहू-बेटियाँ क्यों न पर्दा करेगी,

हया उनको तुम भी सिखाकर तो देखो|

 

करोगे जहां को भी सूरज –सा रोशन,

तुम अपने को पहले तपाकर तो देखो|

 

बनेंगे तुम्हारे सभी दोस्त अपने,

सबक दोस्ती का सिखाकर तो देखो|

 

ए राहे मुहब्बत है पुरखार यारो,

यहाँ फूल फिर भी सजाकर तो देखो|

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 493

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 20, 2015 at 5:48pm
बहुत सुंदर प्रस्तुति। कुछ अशआर तो बहुत ही गहराई लिए हुए हैं जनाब--
"बहू-बेटियाँ क्यों न पर्दा करेगी,
हया उनको तुम भी सिखाकर तो देखो|

करोगे जहां को भी सूरज –सा रोशन,
तुम अपने को पहले तपाकर तो देखो|"
--तहे दिल बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय बैजनाथ शर्मा 'मिंटू' जी ।
Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 20, 2015 at 12:21am

आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी........ शुक्रिया 

Comment by maharshi tripathi on November 19, 2015 at 7:08pm

बहू-बेटियाँ क्यों न पर्दा करेगी,

हया उनको तुम भी सिखाकर तो देखो|

 

करोगे जहां को भी सूरज –सा रोशन,

तुम अपने को पहले तपाकर तो देखो|

 

बनेंगे तुम्हारे सभी दोस्त अपने,

सबक दोस्ती का सिखाकर तो देखो|

  बहुत उम्दा शेर आ.BAIJNATH SHARMA'MINTU' जी ,बधाई आपको |

 

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 19, 2015 at 6:31pm

आदरणीय रवि साहेब .......... सुझाव देने व हौसला बढ़ाने हेतु ...... तहेदिल से नमन व शुक्रिया | 

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 19, 2015 at 6:28pm

आदरणीया  राहिला साहिबा जी  ....... हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया |

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 19, 2015 at 6:26pm

आदरणीय सतविंदर जी .... शुक्रिया|

Comment by Ravi Shukla on November 19, 2015 at 2:48pm

आदरणीय बैजनाथ जी बहुत खूबसूरत प्रवाह वाली ग़ज़ल कही है आपने  बधाई स्‍वीकार करें

सफलता मिलेगी तुम्हें भी यकीनन,

कदम अपने तुम भी बढाकर तो देखो| कदम तो बढाना ही पड़ेगा  बहुत सुन्‍दर

कुछ टंकण त्रुटियों का पोस्‍ट करने से पहले सुधारा जा सकता था ।

इस ग़जल को पढ़ते हुए भारतीय छंद विधान के भुजंग प्रयात छंद का का शानदार प्रवाह आनंद दे रहा था । बधाई स्‍वीकार करें ।

Comment by Rahila on November 19, 2015 at 11:41am
बेहद सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय बैजनाथ शर्मा जी,एक सकारात्मक संदेश देती इस रचना के लिये बहुत बधाई आपको । सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 18, 2015 at 11:07pm
करोगे जहांजहां भी सूरज सा रोशन
तुम अपने को पहले तपाकर तो देखो
बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आदरणीय
बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service