For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हरिया का बेटा हरिलाल
उम्र यही कुछ आठ साल
पढ़ता था तीसरी कक्षा में
आता था प्रथम प्रत्येक साल।।

बापू ने लगा दिया उसको
पास ही के इक भट्ठे पर
भरी जीवन का कुछ बोझा
लाद दिया उसके सर पर।।

वह बालक जिसकी उम्र यही
पढ़ लिख कर कुछ बननें की थी
जिसके जीवन की गिनती
मात्र अभी थी शुरू हुई।।

वह हाथ लिए फरसा झौव्वा
अब नित्य काम पर जाता था
बदले में रोटी की ख़ातिर
कुछ कमा धमा कर लाता था।।

समझाया मैंने हरिया को
विद्यालय भेजा कर बेटे को
पढ़ लिख कर भाग्य संवर जाता
जीवन उसका भी निखर जाता।।

हरिया ने मुझसे कुछ न कहा
बस ख़ामोशी से सुनता रहा
आँखों से बहती दुःख नदिया
गमछे से उसने बाँध दिया।।

इक प्रश्न मेरे मन को तब से
उद्वेलित करता है जिसे आज
प्रिय आप से पूछ रहा हूँ मैं-

उस हरिलाल से लाल कई
मजदूर बनें क्या उचित है ये ?

नहीं सर्वथा अनुचित है

वे भी हैं लाल भारती के
उनका भी है अधिकार यहाँ
वे भी हैं भारत के भविष्य
फिर उनको क्यों
दुत्कार यहाँ।।

उनको भी शिक्षा दो शायद
उनमें कोई लालबहादुर हो
उनको भी शिक्षा दो शायद
उनमे कोई भाभा जैसा हो।।
हे प्रियवर आप ज़रा सोचें
इस बालक की पीड़ा को
अपना अधिकार मांगने पर
मालिक ने दागा हो जिसको।।

उस हरिलाल की ख़ता भी बस
इतनी थी कि उसने अपनी
मज़दूरी पूरी माँगा और
बदले में आग की भीख मिली।।

कुंठित मन घायल हुआ अंततः
परिणाम सामने ये आया
उस होनहार बालक को किसी ने
बन्दूक हाथ में पकड़ाया।।

मेरा आह्वान सभी से है
हमको अन्याय रोकना है
हर हरिलाल का अधिकार
उसको वापस दिलवाना है।।

वर्ना दिन ऐसा आयेगा
संघर्षयुक्त धरती होगी।
हर गाँव रक्त रंजित होगा
हर गली गली हिंसा होगी।।

(1996)
मौलिक अप्रकाशित

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 27, 2015 at 10:38pm
आदरणीय

वामनकर सर,राजेश कुमारी जी, कान्ता रॉय जी एवम् हर्ष महाजन जी आप सभी का सादर अभिवादन

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 27, 2015 at 10:13pm

बहुत अच्छी संदेशपरक कविता बहुत बहुत बधाई आपको आ० पंकज जी 

Comment by Harash Mahajan on August 26, 2015 at 1:41pm

आदर्नीत Pankaj Kumar Mishra  जी ..वाह अपनी कविता द्वारा जागृति !! बेहद खूबसूरत भाव....बधाई !!

Comment by kanta roy on August 26, 2015 at 1:24pm
वाह !!!! उस वक्त से , इस वक्त को, आनेवाले वक्त के लिए चेतना जगाती हुई एक सार्थक रचना कर्म । बधाई आदरणीय पंकज जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 26, 2015 at 12:51pm

आदरणीय पंकज जी बाल श्रमिक विषय पर पद्यमय दास्ताँ हो गई है. इस प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service