For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुनो-सुनाओ, दर्द घटाओ अपनी अपनी प्रेम कहानी

है सजी महफ़िल यारों 

फिर से जख्मों को उठाओ 

याद फिर कर लो उसे 

जिससे मोहब्बत की थी यारों

फिर वही कुछ हँसते गाते 

रुठते और फिर मनाते 

अश्क़ जब आँखों में आये 

गीत  बन जब दर्द जाये

जख्म तुम सबको दिखाओ

फिर वही अपनी पुरानी

सुनो-सुनाओ, दर्द घटाओ

अपनी अपनी प्रेम कहानी |

उसको भी बतलाओ यारों

वो कहाँ और हम कहाँ हैं 

हमने तो जख्मों को अपने 

जीने का जरिया बनाया

गिर के खुद संभले जहाँ पर

ऐसा एक दुनिया बनाया 

हमने त्यागे पुष्प हृदय के

शूल को अपना बनाया

त्यागें वांछित प्रेम स्वप्न और

कंठ को अपना बनाया

रच के पीर ग्रन्थ अपनी

पूरी दुनिया को सुनाओ

अपनी -अपनी  मुहजुबानी 

सुनो-सुनाओ, दर्द घटाओ

अपनी अपनी प्रेम कहानी |

दिन भी कट जातें हैं अब तो 

अब नही रातों को जगना

अपने -अपने गुण दोष पर 

अब नही लड़ना झगड़ना

है नही इस इश्क़ में कुछ

दिल मेरा अब मानता है 

इश्क़ है मुस्कान मन की 

बस यही अब जानता है 

इश्क़ है अपने वतन से 

इश्क़ है अपने चमन से

इश्क़ है अपने कुटुम्ब से

आज ये सबको बताओ

जिस के दिल बसती हैं रानी 

सुनो-सुनाओ, दर्द घटाओ

अपनी अपनी प्रेम कहानी |

****************************

"मौलिक व अप्रकाशित "

Views: 930

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by maharshi tripathi on July 26, 2015 at 6:17pm

आ.डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी ,बस इसी तरह आशीष बनाये रखें |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 25, 2015 at 9:42pm

महर्षि जी आप सध रहे  हैं  . मुझेअच्छा लगा .

Comment by maharshi tripathi on July 23, 2015 at 11:31pm

आ.Saurabh Pandey सर ,आपकी सुझाव का अवश्य पालन करूँगा |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 23, 2015 at 10:53pm

आपकी शायद कोई पहली पद्य प्रस्तुति देख  रह हूँ क्या, भाई ? दीर्घकालीन सतत प्रयास बना रहे.

शुभेच्छाएँ.

पुनश्च : आपसे हमने अध्ययन के क्रम में विभिन्न रचनाओं को पढ़ने का निवेदन किया था. इस प्रक्रिया में बन सके तो आदरणीय मिथिलेशभाईजी का सहयोग लें.

शुभ-शुभ

Comment by maharshi tripathi on July 23, 2015 at 10:20pm

आ. गुणीजन ,रचना पसंद करने हेतु आप सभी का आभार ,आ. गिरिराज सर क्या गीत कोई विधा नही है ?

मैंने तो गीत लिखा है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 23, 2015 at 4:40pm

बढ़िया भाव हैं


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 23, 2015 at 1:20pm

इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय महर्षि भाई जी  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 23, 2015 at 12:52pm

आदरणीय महर्षि भाई रचना के भाव अच्छे लगे । हार्दिक बधाई । इसे किस  विधा का नाम दें , समझ नही पाया ।

Comment by Er Anand Sagar Pandey on July 23, 2015 at 9:36am
बहुत ही उम्दा और मदमस्त पंक्तियां l
Comment by maharshi tripathi on July 22, 2015 at 8:03pm

शुक्रिया आ. pratibha pande जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service