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" बेटा चीनू ! उठो, स्कूल का समय हो रहा है ।"

" नहीं , सोने दो माँ ! मुझे नहीं जाना स्कुल-विस्कुल ।"

" मेरे राजा बेटा, जिद नहीं करते ।स्कूल नहीं जाओगे ,तो आज का पाठ छूट जायेगा ।"

" नहीं....।मुझे नहीं जाना , कह तो दिया एक बार
।गन्दा लगता है मुझे स्कूल जाना "

" लगता है , कल सजा पाकर आये हो । अब उठो और बताओ कल क्या हुआ स्कूल में ? "

" कल गणित की टीचर ने मुझे पूरे पीरियड बेंच पर खड़े रखा ।"

" क्यों ? देखो अपनी माँ से झूठ न कहना ।"

"वो.. वो..... परसों में अपने मित्र से गणित की कॉपी होमवर्क पूरा करने के लिए लाया था , पर कल.... कल उसे घर पर ही भूल गया ।"

" ह्म्म्म... इसलिए टीचर ने तुम्हे सजा दी , और तुम नाराज हो गए ।"

"हाँ ... आप बताओ , क्या ये इतनी बड़ी बात थी ? "

" पहले तुम सच-सच बताओ , क्या वाकई तुम भूल गए थे या कुछ और बात है ?"

" और क्या बात होगी माँ ? "

" दरअसल मैंने तुम्हें पिछले चार-पांच रोज़ से गणित का कोई कार्य करते हुए नहीं देखा ।"

"................."

" चुप क्यों हो ? क्या यही वजह थी समय पर कॉपी न लौटाने की ? "

" हाँ ।मैंने उसके बाद भी कॉपी पूरी नहीं की थी माँ ।"

" चीनू ! अब तुम इतने भी छोटे नहीं हो कि , बात की गंभीरता न समझ सको ।गणित प्रतिदिन अभ्यास का विषय है ।मैंने तुम्हे पहले भी कई बार समझाया है , गणित नक़ल से नहीं अकल से करो ।"

" पर माँ ! आपको पता तो है पिछले दिनों बीमार होने के कारण स्कूल नहीं जा पाया था , इसलिए कार्य अधूरा रह गया ।"

" फिर तुमने परसों ही कार्य पूर्ण क्यों नहीं किया , और आज भी अनुपस्थित रहकर मित्र को परेशान करना चाहते हो ? "

" हाँ माँ! मुझसे गलती हो गई ।सॉरी ...।"

" सॉरी मुझे नहीं , अपने मित्र और टीचर से कहो , क्योंकि तुम्हारी इस गलती से अब उसका काम भी पिछड़ गया होगा ।"

" परंतु माँ ! मैंने तो कल भी कार्य पूर्ण नहीं किया ।"

" कोई बात नहीं ।तुमने अपनी गलती मान ली है तो तुम्हारा मित्र भी तुम्हे क्षमा कर दोबारा सहायता अवश्य करेगा ।"

" अच्छा माँ , अब जल्दी से टिफिन तैयार कर दो , स्कूल जाने को देरी हो रही है ।"

" ना.... पहले अपनी मम्मा से एक प्रॉमिस करो कि आइन्दा झूठ नहीं बोलोगे और समय पर सब कार्य पूर्ण करोगे ।"

" ओ.के. मम्मा.... अब कभी आपको शिकायत का मौका नहीं दूँगा । प्रॉमिस... प्रॉमिस... प्रॉमिस.. ।"

"बच्चों, ये बहुत सामान्य सी बात है। अक़्सर छूटा हुआ कार्य पूर्ण करने के लिए आप अपने मित्रों से कॉपी लेते हैं , जो गलत भी नहीं है ।पर इसके बाद कुछ बच्चे या तो कई दिनों के लिए अनुपस्थित हो जाते हैं या कई - कई दिनों लौटाते नहीं है , उसे गन्दी कर देते हैं , गुमा देते हैं , कभी - कभी ईर्ष्यावश फाड़ भी देते हैं । जरा सोचिये आपकी इस नादानी से आपकी सहायता करने वाले मित्र को कितनी ठेस पहुँचती होगी ।उसकी मेहनत तो व्यर्थ होती ही है , वह आगे से किसी और सच्चे जरुरतमंद की मदद न करने की ठान लेता है ।आपकी ये छोटी से आदत भविष्य में बड़ी गलती का रूप ले सकती है ।इसलिए आप सब भी मुझसे प्रॉमिस करिये, जो गलती चीनू ने की , उसे आप कभी नहीं दोहराएँगे ।प्रॉमिस ...।"

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Replies to This Discussion

आदरणीया शशि बंसल जी बहुत सुन्दर सीख देती बाल कथा लिखी है आपने 

इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है 

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