For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माचिस की तीली की आत्मकथा ( लघुकथा )

सिरा है मेरा काला ,
तन है मेरा सफ़ेद |
मोल नहीं कुछ मेरा ,
करूँ अगर रंगों में मेरे भेद |
कोई ना जाने मोल मेरा,
गर रहूँ मैं डिब्बे में बंद |
बाहर निकल कर रगड़ जो खाऊं ,
तब बनु मैं ज्योत अखंड |
रहती हूँ अपनी सहेलियों के सांथ,
काम आती रहेंगी जो आपके ,
मेरे जाने के भी बाद |
लौ के रूप में उत्साह के सांथ हम बाँट लेती हैं एक दूजे का दर्द /``\ /``\
त्योहारों में दिया जलाकर खुशियां भी लाती हूँ |
बीड़ी-सिगरेट को जला कर धूम्रपान भी फैलाती हूँ |
दर्पण की तरह मैं अपने उपभोग याँ उपयोग की
जीवंत छाया बन जाती हूँ |
सिगड़ी- चूल्हे की ज्योत जलाती हूँ ,
आपके भोजन को शुद्ध बनाती हूँ |
बोलकर नहीं , मगर अपने छोटे से कार्य से ही ,
आपके जीवन में एक अमूल्य स्थान पाती हूँ |
अनेकता में एकता का मूल्य समझाते हुए,
रंग भेद ना कर एक नन्हा सा जीवन निःस्वार्थ होकर जी लेती हूँ |
सदा अपने लक्ष्य पर समर्पित रहने का पाठ पढ़ा जाती हूँ |
.....................मौलिक एवं अप्रकाशित रोहित दुबे |

Views: 1037

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on July 3, 2015 at 11:11pm

इसे कविता बनाना चाहता था पर बड़ा मुश्किल था विचारों को छंद में बदलना , जितना संभव हो सका करने का प्रयास किया |

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on July 3, 2015 at 11:05pm

आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2015 at 11:17am

बहुत अलग विषय पर आपने लिखा है इसके लिए बहुत- बहुत बधाई कोशिश करते रहिये और बेहतर लिख सकते हो शुभकामनायें 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2015 at 3:18am

मंच पर आपका स्वागत है, रोहित भाई.
अब आप यहाँ पोस्ट हुई कविताएँ, ग़ज़लें, लघुकथाएँ, कहानियाँ..  सब-सब-सब पढ़ें. फिर इन सभी में जो अन्तर है उसे समझें और महसूस करें ..
शुभेच्छाएँ

Comment by maharshi tripathi on July 1, 2015 at 11:59pm

भाई जी ,,आपकी सोच काबिले तारीफ है ,,,और हैं ये लघुकथा नही है ,,,जहाँ तक मुझे मालूम है ,,बाकि   डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  सर से सहमत हूँ |

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on June 28, 2015 at 11:14pm

jee

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 28, 2015 at 12:52pm

माचिस की सारी उपयोगिता गिना डाली बंधू , इसमें कविता कहाँ है . अभी और प्रयास की जरूरत है .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
54 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
5 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
6 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मिथिलेश जी, इतना ही कहूँ,   ... ' पहचान पता न चले। बस। ' रहस्य - रोमांच…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय उस्मानी जी, लघुकथा की मार्मिकता की परख हेतु आपका दिली आभार। "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service