For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बुला लेते(कविता)

नूरे-नजर से देखिये,फिर नूर आ जाता,
तबीयत से बुला लें,रब हुजूर आ जाता।
रहे आपको बुलाते अरसा गुजर गया,
आप जो बुलाते, बंदा जरूर आ जाता।
ढका रहा चाँद घटाओं में,हटाते गेशू,
पल भर ही,नजर भरपूर आ जाता।
कैसी झिझक यह? देख लेते एक बार,
आपकी नजर बंदा कम दूर आ जाता।
चिलमन-चादर-ए-बेरुखी,ख्वाहिशे-जहाँ,
हटाते,फिजा-ए-प्यार का शुरुर आ जाता।
'मौलिक व अप्रकाशित'@मनन

Views: 417

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on May 24, 2015 at 7:34pm

मित्रो, डेस्कटॉप से दूर रहने से आपसे संपर्क मे विलंब हुआ जो खेदजन्य है। अब मोबाइल में काम हो जाता है, पर टिप्पणी वगैरह इसमें नहीं कर पाता हूँ। 

Comment by Manan Kumar singh on May 24, 2015 at 7:32pm

आदरणीय समरजी,श्यामजी,गोपाल भाई,डॉ प्राची जी, जितेंद्र जी !आभार आपका। 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 20, 2015 at 12:24am

बहुत सुंदर, आदरणीय मनन जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 19, 2015 at 9:24pm

हृदय की पुकार पर दरस/उपस्थिति की आश्वस्ति देती सुन्दर अभिव्यक्ति आ० मनन कुमार सिंह जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2015 at 4:27pm

मनन जी

 बढ़िया  लिखा आपने .

Comment by Shyam Narain Verma on May 19, 2015 at 10:47am

शानदार रचना पर हार्दिक बधाई

Comment by Samar kabeer on May 19, 2015 at 10:14am
जनाब मनन कुमार सिंह जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"यह ग़ज़ल विवशता के भाव से आरंभ होकर आशा, व्यंग्य, क्षोभ और अंत में गहन निराशा तक की यात्रा समाज में…"
29 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी आदरणीय सम्मानित तिलक राज जी आपकी बात से मैं तो सहमत हूँ पर आपका मंच ही उसके विपरीत है 100 वें…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इसी विश्व के महान मंच के महान से भी महान सदस्य 100 वें आयोजन में वही सब शब्द प्रयोग करते नज़र आ…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपको यह कहने की आवश्यकता क् पड़ी कि ''इस मंच पर मौजूद सभी…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service