For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल ,वो मुझे एकटक देखती रह गई

हाथ पर उसके ठोडी टिकी रह गई
वो मुझे एकटक देखती रह गई

वो हवा हो गई एक पल में कंही
मुस्कुराहट यहाँ गूँजती रह गई

मंजिलों की तरफ दौड़ते -दौड़ते,
जिंदगी कट गई बेबसी रह गई

आपकी याद जिंदा जलाई मगर,
आँधियाँ फिर चलीं,अधजली रह गई

सच का सूरज उजाला बहुत भर गया,
रात आईं मगर रोशनी रह गई

सूबे सिंह सुजान
मौलिक व प्रकाशित

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on March 20, 2015 at 5:44pm
gumnaam,ji धन्यवाद
Comment by Hari Prakash Dubey on March 18, 2015 at 9:07pm

आदरणीय सूबे सिंह सूजान जी, इस सुन्दर रचना पर बधाई प्रेषित ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 18, 2015 at 8:25pm

आदरणीय सूबे सिंह जी सुन्दर ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई 

आदरणीय गिरिराज सर की सलाह अच्छी है उससे मैं भी सहमत हूँ.

एक निवेदन है ग़ज़ल की बह्र का वज्न 212x4 अवश्य लिख दे 

Comment by somesh kumar on March 18, 2015 at 7:00pm

मंजिलों की तरफ दौड़ते -दौड़ते,
जिंदगी कट गई बेबसी रह गई

सुंदर शे'रों के जरिए कुछ सम्वेदनाओं और कुछ जीवन-सत्यों को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया आप ने ,बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 18, 2015 at 5:48pm

आदरनीय सूबे सिंह भाई , बहुर सुन्दर गज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ आपको ॥

वो हवा हो गई एक पल में कंही
मुस्कुराहट यहाँ गूँजती रह गई      ---- इस शे र में ,मुस्कुराहट की जगह  खिलखिलाहट  क्या अच्छा नहीं रहेगा ? क्योंकि आगे बात गूंजने की हो रही है ॥

Comment by gumnaam pithoragarhi on March 18, 2015 at 5:41pm

सुंदर रचना के लिए बधाई ...........................

Comment by सूबे सिंह सुजान on March 18, 2015 at 1:22pm
Shyam mathpal,जी आपका स्वागत है,बहुत बहुत धन्यवाद
Comment by सूबे सिंह सुजान on March 18, 2015 at 1:21pm
आदरणीय विजयी शंकर जी,आपकी मेहरबानी है,बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by सूबे सिंह सुजान on March 18, 2015 at 1:19pm
Shyam narayan sharma,जी आपकी जरर्रानवाजी है,धन्यवाद
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 18, 2015 at 12:23pm


 वो हवा हो गई एक पल में कंही
मुस्कुराहट यहाँ गूँजती रह गई

मंजिलों की तरफ दौड़ते -दौड़ते,
जिंदगी कट गई बेबसी रह गई------------------सुन्दर रचना  आ० सुजान जी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
20 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
20 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
20 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के।लिए सादर"
56 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
57 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
59 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आपका टिप्पणी व सुझाव के लिए हार्दिक आभार। एक निवेदन है कि — काम की कोई मानता…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है।  ग़ज़ल 2122 1212 22 .. इश्क क्या…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service