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      बेटियाँ    

बेटियों की ज़मीन को सींचो

उग रही पौध को नहीं खींचो

ये हमारे समाज की जड हैं,

इन जडों के शरीर मत भींचो।

मौलिक व अप्रकाशित  

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Comment by सूबे सिंह सुजान on March 17, 2015 at 11:48pm
सधन्यवाद
Comment by सूबे सिंह सुजान on February 3, 2015 at 10:48pm
Hari Prakash Dubey, जी आभार। स्वागत है
Comment by Hari Prakash Dubey on January 18, 2015 at 5:10am

सुन्दर मुक्तक है आदरणीय सूबे सिंह जी ,बधाई आपको !

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 16, 2015 at 7:32pm

बेटियों पर लिखा है। लेकिन किसी की तरफ से कोई प्रोत्साहन या कुछ भी नकारात्मक नहीं लिखा गया । खैर हमारे हरियाणा में बेटी बचाओ-बेटी पढाओ   एक अभियान चल रहा है। जिसके तहत मैंने यह मुक्तक स्कूल में बच्चों को पढाया।

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