For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१२१ २२ १२२

अजीब है ये जिन्दगी

सलीब है ये जिन्दगी

न जान तू किस खता की

नसीब है ये जिन्दगी

इश्क जिसे है,उसी की

रकीब है ये जिन्दगी

गिने जु सांसे, बहुत ही

गरीब है ये जिन्दगी

निकाह मौत तुझसे औ

हबीब है ये जिन्दगी

‘मौलिक व अप्रकाशित’

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 8, 2015 at 10:29pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी!आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 8, 2015 at 10:28pm
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 8, 2015 at 10:26pm

आदरणीय vijai shanker जी प्रोत्साहन के लिए तहेदिल से शुक्रिया!!आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 8, 2015 at 10:25pm

भाई गुमनाम जी ऐसे ही अपना स्नेहभाव बनाये रक्खें! बहर में लिखने को प्रयासरत हूँ! सीखना ज़ारी है!सदैव मार्गदर्शन का आकांछी हूँ!इसी प्रकार अपनी नजर मुझपे बनाये रखे!!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 8, 2015 at 10:18pm

शुभकामनाओ के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ पांडेय सर! बिल्कुल आपकी बात को संज्ञान में मैंने लिया..और रचनाकर्म की दृष्टि से बहुत लाभप्रद रहा!!समयाभाव और व्यस्तता के कारण उस समय टिप्पणी केवल पढ़ कर रह गया था! आदरणीय आप इसी प्रकार सदैव मार्गदर्शन करते रहे!!यही कामना है!बहुत बहुत आभार अभिनन्दन!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 8, 2015 at 10:11pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय shyam नरेन वर्मा जी!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 8, 2015 at 10:11pm

हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय Pari M Shlok जी !!

Comment by Hari Prakash Dubey on March 5, 2015 at 9:48pm

 भाई कृष्ण मिश्र जी इस सुन्दर प्रयास ,सुन्दर रचना के लिए बधाई आपको !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 5, 2015 at 9:16pm

कृष्ण मिश्र जी

आपका प्रयास सराहनीय है i बाकी उस्ताद आपको बता ही चुके हैं i सादर i

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 5, 2015 at 8:12am
वादे से न मुकरे मौत
पूजें हम ये जिंदगी ॥
अच्छी रचना वही है जो वैसा ही सोचने पर मजबूर कर दे , इसलिए बहुत बहुत बधाई, बन्धु , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service