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नारी और देवी तुल्य ? (अनन्या )

नारी बरसों से   देवी तुल्य कहलाती है 

मगर यह बात मुझे अचंभित कर जाती है 

केवल कागजों में छपी हैं यह कागज़ी बातें 

सच्चाई मगर.. कुछ और बयां कर जाती है 

चीखें दबी -दबी सी ,साँसे घुटी. घुटी सी 

पथराई आँखें बदहवास सी नज़र आती है 

रुदन को गुप्त रख स्मित बरसाती है   

निशब्द सी धडकनें  डरकर रह जाती है 

जज्बात उसके  सदा सहमें से लगते हैं 

घरोंदे में छुपकर  वह जीवन बिताती है 

सिंदूर में रंग कर रक्तिमा कहलाए जब 

 लाल सूरज सी बिंदिया बेहद जलाती है 

नारी बरसों से देवी तुल्य कहलाती है 

मगर यह बात मुझे अचंभित कर जाती है 

( मौलिक और अप्रकाशित )

डिम्पल गौड़ ' अनन्या '

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Comment by डिम्पल गौड़ on March 3, 2015 at 7:28pm

आदरणीया डॉ प्राची जी , समाज में नारी की स्थिति देख कर दुःख होता है...उसी व्यथा को अपनी रचना के माध्यम से व्यक्त करने का छोटा सा प्रयास किया है...आपको रचना पसंद आयी इसके लिए बेहद शुक्रिया आपका |

Comment by डिम्पल गौड़ on March 3, 2015 at 7:26pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, रचना पसंदगी के लिए बहुत बहुत आभार आपका |

Comment by डिम्पल गौड़ on March 3, 2015 at 7:23pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ..|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 1, 2015 at 7:56pm

नारी को देवी-तुल्य मान उससे हर कदम पर बलिदान की अपेक्षा करना.. यकीनन कोइ साजिश सी ही लगती है जब यथार्थ के धरातल पर नारी को प्रताड़ित किये जाने की हर सीमा समाज भिन्न भिन्न स्वरूपों में पार करता सा दीखे..और नारी बेबस लाचार सहमी सिसकती रह जाए.

नारी जीवन की वेदना को स्वर देती इस अभिव्यक्ति पर हृदय तल से बधाई आदरणीया डिम्पल गौर जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 1, 2015 at 4:39pm

आदरनीया अनन्या जी , नारी के विषय में बहुत अच्छी बातों को शब्द दिया है आपने । रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 1, 2015 at 2:15pm

बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना. बधाई आदरणीया डिम्पल जी.

Comment by somesh kumar on March 1, 2015 at 11:49am

सत्य को सत्य कहने के लिए बधाई आदरणीया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 1, 2015 at 7:27am
आदरणीया अनन्या जी सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई ।
Comment by डिम्पल गौड़ on February 28, 2015 at 11:25pm

आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी...रचना पर आपकी प्रतिक्रिया जान कर बहुत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है ...सादर धन्यवाद आपका |

Comment by डिम्पल गौड़ on February 28, 2015 at 11:22pm

रचना की सराहना करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका ...आदरणीय कृष्णा मिश्रा जी |

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