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जीवन कठिनाईयों मे 

गुजर रहा है ऐ मौला 

रात गुजर रही है 

बगैर नींद के ऐ मौला 

बेपरवाह एक जुगनू 

खलल डाल रहा ऐ मौला 

सफर मे चला जा रहा हूँ 

मंजिल की तलाश मे ऐ मौला

कहता बहुत हूँ, चीखता बहुत हूँ 

सुनता कोई नहीं ऐ मौला 

काली रात कटेगी, सुबह तो होगी 

इंतजार मे हूँ ऐ मौला 

जख्म इतना दिया कि 

इंतहा कि हद कर दी 

जख्म के दर्द का अहसास न रहा ऐ मौला

खारा हो गया हूँ जैसे समंदर का पानी 

अब मिठास की आस है ऐ मौला 

हमनवा, हमनवा न रहा 

हमसफर, हमसफर नहीं 

परछाई भी कतरा रही अब तो मौला .... 

( मौलिक व अप्रकाशित) 

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Comment

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Comment by rajesh kumari on February 26, 2015 at 7:36pm

सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on February 26, 2015 at 7:12pm

कठिनाइयाँ जीवन की उत्प्रेरक भी हो सकती हैं बिना परेशानी भी कोई जिन्दगी है? एक प्रबुद्ध विचारक का कहना है 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:40pm

 आदरणीय Dr. Gopal Narayan Srivastava jee  आपके स्नेहशील आशीर्वाद के लिए धन्यवाद ... सादर 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:38pm

आभार Pari M Shlok ji ... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:37pm

 धन्यवाद Virender Veer Mehta jee  आपका ... सादर 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:37pm

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी आपको धन्यवाद मेरे उत्साहवर्धन के लिए ... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:35pm

 आभार मिथिलेश वामनकर जी सुंदर टिप्पड़ी के लिए 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:34pm

बहुत बहुत आभार Maharshi Tripathi jee सुंदर टिप्पड़ी के लिए 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 25, 2015 at 4:53pm

आमोद जी

आपको जीवन में

शान्ति दे ऐ मौला

आपकी कविताई

को कांति दे ऐ मौला

आपकी हर ले

हर भ्रान्ति ऐ मौला -------------------सप्रेम !

Comment by Pari M Shlok on February 25, 2015 at 2:45pm
आदरणीय आमोद कुमार श्रीवास्तव जी , सुन्दर रचना , बधाई प्रेषित

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