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ये रिमझिम सावन, अति मन भावन, करते पावन, रज कण को ।
हर मन को हरती, अपनी धरती, प्रमुदित करती, जन जन को ।
है कलकल करती, नदियां बहती, झर झर झरते, अब झरने ।
सब ताल तलैया, डूबे भैया, लोग लगे हैं, अब डरने ।।
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मौलिक अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 6, 2014 at 8:04pm

सुन्दर प्रयास जैसा की आ० सौरभ जी ने सुझाव दिया उसको दुरस्त कर लेंगे तो बहुत सुन्दर त्रिभंगी छंद हो जाएगा 

ये रिमझिम सावन, अति मन भावन, करता पावन, रज कण को

सब ताल तलैया, डूबे  भैया,---करके देखिये 

आपको बहुत- बहुत बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2014 at 6:55pm

//आपके निर्देश/सुझााव का मुझे सदैव प्रतिक्षा रहता है //

आपके निर्देश/सुझावों की मुझे सदैव प्रतीक्षा रहती है । 

शुभेच्छाएँ आदरणीय

Comment by रमेश कुमार चौहान on August 5, 2014 at 6:39pm

सभी महानुभवों का सादर आभार
आदरणीय सौरभजी आपके निर्देश/सुझााव का मुझे सदैव प्रतिक्षा रहता है ।  आपके अबतक प्राप्त सुझााओं के बल पर अब तक अभ्यास कर पा रहा हू, जो प्रश्न आप खडे किये वाजीब है, संशोधन का प्रयास करूंगा आपका हार्दिक अभिनंदन आभर ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2014 at 6:19pm

पाठकों की हार्दिक बधाइयों से आप्लावित यह रचना अब मेरे जैसों से कोई प्रश्न कैसे या क्यों स्वीकार करे ?

अन्यथा मैं पूछता -
१. सावन पुल्लिंग की तरह व्यवहृत होता है. किन्तु, पहले पद में इसकी क्रिया स्त्रीलिंग है.
२. नदियाँ बहुवचन है संज्ञा है. तीसरे पद में ’करती’ या ’बहती’ उपयोग किया गया है.
३. जब इतना बढिया वातावरण है, सभी ’नाच’ रहे हैं तो ’लोग’ ’डरने’ क्यों लगेंगे ? इसके लिए कोई कारण नहीं बताया गया है.

आदरणीय रमेशजी, आपकी प्रस्तुति वस्तुतः एक अभ्यास प्रस्तुति है. अतएव, अपेक्षित है कि रचनाओं को प्रस्तुत करने में गंभीरता बरती जाय. अलबत्ता, मात्रिकता संयोजन निर्दोषहुआ है.
सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 5, 2014 at 12:24pm

मन भावन सुन्दर रचना  प्रस्तुति के लिए बधाई श्री रमेश चौहान जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2014 at 11:19am

वाह वाह ! , रमेश भाई ,पढ़ के मज़ा आगया , शिल्प का ज्ञान तो नही है , लेकिन आनन्द आया ! बधाइयाँ ।

Comment by रमेश कुमार चौहान on August 4, 2014 at 4:57pm

आप सभी का सादर आभार

Comment by savitamishra on August 4, 2014 at 11:57am

सुन्दर प्रस्तुति.............हार्दिक बधाई

Comment by ram shiromani pathak on August 3, 2014 at 8:03pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय। ।   हार्दिक बधाई आपको 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 3, 2014 at 7:56pm

वाह वाह क्या कहने!

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