For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 44 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-45

विषय - "अनंत-असीम-अपरिमित " 

अक्सर हम एक ऐसी अवस्था को जीते हैं जहाँ कोइ भाव अपने असीम होने का एहसास कराता है... योगियों के लिए ये परब्रह्म का निःसीम विस्तार हो सकता है.. तो किसी प्रेमिका या प्रेमी के लिए उसका प्रेम ऐसा अनंत आकाश होता है जिसमें वो पर फैलाए हर सीमा के परे भाव भूमि में विचरण करते हैं... वहीं दार्शनिक समय की अवधारणा को भी अनंत काल से अनंत काल तक देखते हैं.... तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और प्रदत्त विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति.

आयोजन की अवधि - 11 जुलाई 2014, दिन शुक्रवार से 12 जुलाई 2014, शनिवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)


बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो. 
  •  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  11 जुलाई 2014,दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 11717

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. अविनाश भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभार ॥

और कोई बीज तब तक वृक्ष नहीं हो पाता जब तक उसे अपने बीज़ रूपी अस्तित्व से मोह है

खोना पड़ता है , बीज़ को अपना बीज पन , तब अंकुरित होती है उसी बीज के अंदर से वृक्ष हो सकने की सम्भावनायें

वर्षा की बूंदें जब असीम समुद्र में गिर के खो देतीं हैं अपना अस्तित्व तब वो असीम समुद्र हो जातीं...

.

प्रकृति में ही हर सूक्ष्मता को  असीम विस्तार देने की क्षमता है। आपकी कलम इने भावों को बड़ी खूबसूरती से कविता में उभारा है। विषयानुसार उत्तम परस्तुति के लिए हार्दिक बधाई विकार कीजिये आदरणीय गिरिराज जी

आदरणीया कल्पना जी , आपके अनुमोदन ने मेरी रचना का मान बढ़ा दिया है , आपका शुक्रिया ॥

और कोई बीज तब तक वृक्ष नहीं हो पाता जब तक उसे अपने बीज़ रूपी अस्तित्व से मोह है

खोना पड़ता है , बीज़ को अपना बीज पन , तब अंकुरित होती है उसी बीज के अंदर से वृक्ष हो सकने की सम्भावनायें

वर्षा की बूंदें जब असीम समुद्र में गिर के खो देतीं हैं अपना अस्तित्व तब वो असीम समुद्र हो जातीं हैं....................वाह! बिलकुल सही कहा है आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब ! सुन्दर रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

आदरणीय अशोक भाई , भावों और विचारों के अनुमोदन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

//अंश अपने को खोने को तैयार नहीं है

इसी लिये वंचित है पूर्ण हो जाने से //  क्या खूब कहा

आदरणीय गिरिराज सर प्रदत्त विषय के अनुरूप प्रस्तुत इस सुंदर रचना के लिये सादर बधाई स्वीकार करें।

आदरनीय शिज्जु भाई , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

अद्भुत !
आदरणीय गिरिराज भाईजी, जिस उन्नत भावदशा को आपने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से अभिव्यक्त किया है वह अंशों की अहमन्यता के प्रति आपकी उचित सलाह के रूप मे प्रस्तुत हुई दीख रही है. अवस्थाजन्य लघु संज्ञाएँ अपनी महत्ता को समझती हैं तो यह जगती के लिए सौभाग्य ही है. लेकिन उनका उद्येश्य उनके पूर्ण होने से ही संभव यह विचार यदि न बना रहा तो उनकी यही अहमन्यता उनके मोह और प्रेयकर्म का कारण बन जाती है. पूर्णता के ओर बनी भाविक या वैचारिक यात्रा मात्र ज्ञान या उस ज्ञान की अभिव्यक्ति से संभव नहीं. तब तो वह ज्ञान अहंकार के दाब के नीचे काल-कलवित हो जाता है. इसके साथ संतुलन हेतु श्रद्धा का संबल और आधार होना ही चाहिये. यही भक्ति का प्रारूप बन किसी ज्ञान को आधारभूत मान्यता देता है.

कोई ज्ञान बिना श्रद्धा के उथले अहं का परिचायक है तो बिना ज्ञान कोई श्रद्धा मूढ़ता की निशानी है. इस गहन तथ्य को आपकी प्रस्तुति में सार्थक शब्द मिलता मन अतिरेक में है.
वैचारिक रूप से इस सुन्दर कविता के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय.
शुभ-शुभ

आदरणीय सौरभ भाई , इस गंभीर विषय पर मेरे प्रयास को आपकी प्रतिक्रिया ने पूर्ण कर दिया । आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ॥

आ० गिरिराज भाई,
"सूक्ष्म में अनंत होने की सम्भावनायें छिपी होतीं हैं" बिलकुल पमाणु की तरह. सत्य को उजागर करती रचना पर बहुत बधाई.

आ. विजय भाई, आपका हार्दिक आभार ॥

वृक्ष ,बीज ,वर्षा की बूँद ,सागर आदि के  सुन्दर बिम्ब लेकर कितनी खूबसूरती से आपने अनंत शब्द को परिभाषित किया है ,प्रकृति हो या मानव या कोई भी जीवात्मा जिसमे अहम सर्वोपरि होता है वो कहाँ अनंत सम्पूर्णता को प्राप्त कर सकता है और जो इस मिथ्या भ्रम से ऊपर उठ जाता है वही  सम्पूर्ण हो जाता है |बहुत सुन्दर रचना |हार्दिक बधाई आपको आ० गिरिराज जी |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 2122 2122 212 घोर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए अमीर जी की टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर है…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है ,हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है,बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। कृपया कुछ कमिया बता कर उसका निदान भी बताते तो…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई। भाई अमीरुद्दीन जी की सलाह पर गौर करें।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, स्नेह के लिए आभार।"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service