For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गंगा जमुनी तहज़ीब है बसंत

गंगा जमुनी तहज़ीब है बसंत

पलकों की छांव में आकर जो खामोश हुये बैंठे हैं ।

दिल की चौखट पर हजारों सवालात लिए बैंठे हैं ।

पीले फूलों की तरह हर तरफ खिलता रहे बसंत,

बासन्ती परिधान में इश्क के जज़्बात लिए बैंठे हैं ।

प्यार, मोहब्बत, इश्क चाहे जिस नाम से पुकारो,

सूर और नज़ीर के हम खयालात लिए बैंठे हैं ।

सरसों के पुष्प से गुलजार है खेत और खलिहान,

कृषकों की खुशियों के हम पारिजात लिए बैंठे हैं ।

हम भी बना देते मोहब्बत का दूसरा ताजमहल,

पर शाहजहाँ द्वारा कटवाए हुये हाथ लिए बैंठे हैं ।

इस बासन्ती मौसम में तन - मन है प्रफुल्लित,

गंगा जमुनी तहजीव की सौगात लिए बैंठे हैं ।

                                        

डॉ हृदेश चौधरी

महासचिव

आराधना संस्था

नोट: यह रचना मौलिक एवं अप्रकाशित है ।

 

Views: 423

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on February 10, 2014 at 2:40pm

सुन्दर परस्तुति आदरणीया हार्दिक बधाई आपको//////////   सादर


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on February 6, 2014 at 12:57pm

बहुत सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई.

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 6, 2014 at 11:10am

प्यार, मोहब्बत, इश्क चाहे जिस नाम से पुकारो,

सूर और नज़ीर के हम खयालात लिए बैंठे हैं ।-----------------------बेहतरीन

बधाई बधाई

Comment by annapurna bajpai on February 6, 2014 at 1:36am

हम भी बना देते मोहब्बत का दूसरा ताजमहल,                                                           

पर शाहजहाँ द्वारा कटवाए हुये हाथ लिए बैंठे हैं । ..............सुंदर गजल बधाई आ0 हृदेश जी ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 4, 2014 at 11:00pm

बसंत ऋतु पर बहुत सुंदर प्रस्तुति, बधाई स्वीकारें आदरणीया हृदेश जी

Comment by coontee mukerji on February 4, 2014 at 9:51pm

बहुत सुंदर रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई..सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
16 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
16 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
16 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
17 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
17 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
17 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
17 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
17 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, अभिवादन एवं हार्दिक धन्यवाद।"
18 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service