For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बह्र : २१२ २१२ २१२

------------

इश्क जबसे वो करने लगे

रोज़ घंटों सँवरने लगे

 

गाल पे लाल बत्ती हुई

और लम्हे ठहरने लगे

 

दिल की सड़कों पे बारिश हुई

जख़्म फिर से उभरने लगे

 

प्यार आखिर हमें भी हुआ

और हम भी सुधरने लगे

 

इश्क रब है ये जाना तो हम

प्यार हर शै से करने लगे

 

कर्म अच्छे किये हैं तो क्यूँ

भूत से आप डरने लगे

---------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 624

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 7, 2014 at 9:54pm

आदरणीय सौरभ जी, सच ही कहा है कि अनुभव का कोई सानी नहीं होता। केवल एक शब्द बदलने से शे’र की शेरियत बढ़ गई। तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ इस सुझाव के लिए। स्नेह हूँ ही लगातार बारंबार बना रहे।  

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 7, 2014 at 9:44pm

Shyam Narain Verma जी, अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, coontee mukerji जी, MAHIMA SHREE जी, Sonam Saini जी,  गिरिराज भंडारी जी,  vijay nikore जी,  Dr.Prachi Singh जी, रमेश कुमार चौहान जी एवं Dr Ashutosh Mishra जी। शे’र पसंद करने और हौसला अफ़जाई करने के लिए आप सबका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हुँ। स्नेह यूँ ही बना रहे।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 6, 2014 at 5:04pm

इश्क जबसे वो करने लगे

रोज़ घंटों सँवरने लगे.....

कर्म अच्छे किये हैं तो क्यूँ

भूत से आप डरने लगे...आदरणीय धर्मेन्द्र जी ..बेहद सादगी से मस्ताने अंदाज में नाना बातें करती हुई शानदार ग़ज़ल ...और इस ग़ज़ल के मुझे बेहद पसंद आये ये शेर ..इनके लिए बिशेष रूप से बधाई ..सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 6, 2014 at 2:45pm

आदरणीय धर्मेन्द्रजी, अच्छी मुलायम लेकिन बहुत कुछ साझा करती हुई इस ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें. 

’..लाल बत्ती हुई’ अपनी सहजता के कारण ध्यान खींचती है. वो जल भी सकती थी, ताकि लम्हों के ठहर जाने का मंज़र और अधिक साफ़ हो जाता .. :-))

बहुत गहरे हैं.... . . अश’आर.. ;-)))

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 1, 2014 at 8:33pm

इस सुंदर प्रस्तुति पर बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 1, 2014 at 5:23pm

इश्क जबसे वो करने लगे

रोज़ घंटों सँवरने लगे...................बहुत शानदार मतला कहा है 

इश्क रब है ये जाना तो हम

प्यार हर शै से करने लगे...................वाह! बहुत सुन्दर शेर 

हार्दिक बधाई आ० धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी 

 

Comment by vijay nikore on January 1, 2014 at 10:22am

अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 30, 2013 at 8:24pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , छोटी बह्र मे लाजवाब गज़ल कही है !! वाह भाई जी बहुत सारी बधाइयाँ ॥

कर्म अच्छे किये हैं तो क्यूँ

भूत से आप डरने लगे -------- खास शे र के लिये खास बधाई कुबूल हो ॥

Comment by Sonam Saini on December 30, 2013 at 12:39pm

बहुत खूब आदरणीय सर

Comment by MAHIMA SHREE on December 29, 2013 at 8:11pm

दिल की सड़कों पे बारिश हुई

जख़्म फिर से उभरने लगे

 

इश्क रब है ये जाना तो हम

प्यार हर शै से करने लगे ..बहुत खूब ... बधाई आ. धर्मेन्द्र जी ..सादर

 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service