राजनीति की शतरंज में
पैदल बिल्कुल सीधा चलता है
किंतु उसे केवल तिरछा मारने का अधिकार होता है
पैदल को रोकने के लिए उसके सामने एक पैदल लगा देना काफ़ी होता है
इसलिये पैदल संख्या में सबसे ज्यादा होते हुये भी
सबसे कमजोर मोहरा माना जाता है
कोई पैदल अगर बचते बचाते विपक्षी के घर में घुस जाय
और सारे राज जान ले
तो उसे फौरन मार दिया जाता है
या फिर वो जो बनना चाहे बना दिया जाता है
ऊँट बेचारा जो वास्तव में हमेशा सीधा चलता है
उसे तिरछा चलना और तिरछा मारना सिखा दिया जाता है
हाथी को सिखा दिया जाता है दाएँ बाएँ चलना
और जो भी रास्ते में आए उसे कुचल देना
राजनीति की शतरंज में
सबसे खतरनाक घोड़ा होता है
क्योंकि घोड़े को सिखाया जाता है कूद कूद कर मारना
इसके लिए घोड़े को दिया जाता है विशेषाधिकार
ढाई घर चलने का
विपक्षी वजीर जैसे ही कुछ करने की कोशिश करता है
घोड़े को बाहर निकाला जाता है
और बेचारा वजीर या तो डर के मारे वापस लौट जाता है
या चुपचाप जहाँ है वहीं पड़ा रहता है
राजनीति की शतरंज के मँझे हुए खिलाड़ी
घोड़े का सही इस्तेमाल करना जानते हैं
राजनीति की शतरंज में
राजा को बचाने के लिए सभी मोहरे बारी बारी अपना बलिदान देते हैं
लेकिन राजा कभी नहीं मरता
उसकी केवल मात होती है
और वो फिर से खेलने लगता है
अगली बार जीतने के लिए
-----------
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
बहुत बहुत धन्यवाद Dr.Prachi Singh जी
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय Saurabh Pandey जी। चेस तो पहले से ही जानता था। विचार अब जाके कौंधा। :)
अच्छा चैस सिखाया है.... :))
राजनीति की शतरंज में
राजा को बचाने के लिए सभी मोहरे बारी बारी अपना बलिदान देते हैं
लेकिन राजा कभी नहीं मरता
उसकी केवल मात होती है
और वो फिर से खेलने लगता है
अगली बार जीतने के लिए,.... सही बात !
शुभकामनाएं
:-)))
चेस सीखे इधर या जानते थे.. !!
राजनीति की शतरंज में
राजा को बचाने के लिए सभी मोहरे बारी बारी अपना बलिदान देते हैं
लेकिन राजा कभी नहीं मरता
उसकी केवल मात होती है
और वो फिर से खेलने लगता है
अगली बार जीतने के लिए
इन पंक्तियों में सारी की सारी कविता बसी है.. .
बहुत-बहुत बधाई ..
बहुत बहुत धन्यवाद शिज्जु जी
आदरणीय धर्मेन्द्रजी राजनीतिक शतरंज का बहुत बढ़िया वर्णन किया है आपने बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, coontee mukerji साहिबा, गिरिराज भंडारी जी, राज बुन्दॆली जी, S. C. Brahmachari जी, vandana जी, अरुन शर्मा 'अनन्त' जी, बृजेश नीरज जी, Laxman Prasad Ladiwala जी एवं annapurna bajpai जी आप सबको ये रचना पसंद आई और आपने सबने ने मेरा हौसला बढ़ाया इसके लिए तह-ए-दिल से आप सबका शुक्रगुज़ार हूँ। स्नेह बनाए रखिएगा।
अच्छी रचना बधाई आपको ।
राजा कभी नहीं मरता
उसकी केवल मात होती है
और वो फिर से खेलने लगता है
अगली बार जीतने के लिए--------यही तो शतरंज की बिसात का असली खेल है व्यवहार में भी नेताओं की हार जीत में भी जनता ही पिसती है/हारती है/युद्ध में प्यादा ही मरता है | शिल्प में ढाल इसे सुन्दर कविता का रूप दिया जा सकता है भाई श्री धर्मेन्द्र जी | अच्छे भाव समाहित रचना के लिए हार्दिक बधाई
वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!
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