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खिलखिला के आई जवानी ..............कविता

कामनाओ ने ली अंगडाई

होने लगी रुत मस्तानी,

बचपन बिता जागी उमंगें

खिलखिला के आई जवानी |

आँखों में जागे सतरंगी सपने

बीत गए बचपन के दिन वो अपने,

मन मयूर मस्त हो गाने लगा

सपनो में खो जाने लगा,

अंग -अंग में एक नया नशा

बदलने लगी सोच दिशा,

छुट गयी हर चीज़ पुरानी

बचपन बिता जागी उमंगें

खिलखिला के आई जवानी |

लम्बी डगर पे पहला कदम

मदहोश हुआ जाये मन,

जीवन के नए तराने

मेरा मन लगा है गाने,

मन को भली लगे तन्हाई

कानो में गूंजे शहनाई,

दुनिया लगे है मुझको नुरानी

बचपन बिता जागी उमंगें

खिलखिला के आई जवानी |

कामनाओं का अजब संसार

खुद से ही हो जाता है प्यार,

मन का पंछी कुछ गाता है

अनजाने ख्यालो में खो जाता है,

महक -महक जाता है मन

बहक- बहक जाता है तन

मुझको होती है हैरानी ,

बचपन बिता जागी उमंगें

खिलखिला के आई जवानी |

उड़ने को मन एक ऊँची उड़ान

छेड़ने लगा कोई मीठी तान,

सावन सी तन पे पहली फुहार

बहने लगी सुगन्धित बयार,

तन बदन में तड़पन -तड़पन

अंगो में अब खनकन- खनकन

जैसे घटा से बरसे पानी,

बचपन बिता जागी उमंगें

खिलखिला के आई जवानी |

ना पाबंदी ना कोई सवाल

मैं मचाने लगा धमाल,

याद किसकी सताने लगी है

नींद अब जगाने लगी है,

मन का कोई छेड़े सितार

होने लगा है किसी से प्यार,

बनने लगी है कोई कहानी

बचपन बिता जागी उमंगें

खिलखिला के आई जवानी |

                  ..................... रचना    “डॉ. अनुराग सैनी “

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 25, 2013 at 3:46pm

आभार आप सभी का !

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 24, 2013 at 11:04pm

बेहद सुन्दर रचना आदरणीय बधाई स्वीकारें

Comment by Neeraj Neer on September 24, 2013 at 7:32pm

बढियां नज़्म .. बधाई 

Comment by annapurna bajpai on September 24, 2013 at 3:58pm

saundar ati sundar rachna  badhai apko , adarniy Anurag ji .

Comment by रविकर on September 24, 2013 at 12:01pm

बढ़िया भाव -
अच्छा कथ्य-
आभार आदरणीय-

Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 11:46am
अनुराग सैनी जी बहुत बढिया रचना ... बधाई...

कृपया ध्यान दे...

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