For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रविकर रोटी सेंक, बोलता जिन्दा रह मत-

रहमत लाशों पर नहीं, रहम तलाशो व्यर्थ |
अग्गी करने से बचो, अग्गी करे अनर्थ |


अग्गी करे अनर्थ, अगाड़ी जलती तीली |
जीवन-गाड़ी ख़ाक, आग फिर लाखों लीली |


करता गलती एक, उठाये कुनबा जहमत |

रविकर रोटी सेंक, बोलता जिन्दा रह मत ||

 

मौलिक / अप्रकाशित

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 24, 2013 at 7:55pm

सामयिक विस्तृत आयाम को प्रस्तुत करती सुन्दर कन्दलिया 

हार्दिक बधाई 

Comment by रविकर on September 19, 2013 at 12:20pm

आदरणीय/आदरेया -
बहुत बहुत आभार आप सभी का ||

संशोधन -
रविकर रोटी सेंक, बोलता जिन्दा रह मत ||

Comment by Akash Verma on September 19, 2013 at 11:39am

bahut si sundar rachna hai...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 19, 2013 at 11:22am

सभी रचनाकार शब्द को साधन बनाते हैं. आपतो इन्हें खिलौना बनाते हैं ..

हृदय से बधाई, आदरणीय, इस कुन्दलिया प्रस्तुति पर. सामयिक है लेकिन दीर्घायु है.

सादर

Comment by Abhinav Arun on September 19, 2013 at 4:24am

मुग्ध हूँ श्री रविकर जी ..

अग्गी करे अनर्थ, अगाड़ी जलती तीली |
जीवन-गाड़ी ख़ाक, आग फिर लाखों लीली |

             ... रचना पाठकों को  भावों के कई कई सफल सोपान तय कराने में सफल है ..सुन्दर सशक्त ..हार्दिक बधाई आदरणीय !!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 18, 2013 at 7:24pm

प्रिय रविकर भाई जी ..सुन्दर कुण्डलियाँ ..आज के दर्द को बयान करती ..अच्छा विच्छेद और व्याख्या
आभार
भ्रमर ५

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 7:10pm

 बहुत सुन्दर  कुण्डलियाँ छंद बधाई स्वीकारें आदरणीय रविकर जी ///सादर 

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 6:45pm

बेहतरीन कुण्डलियाँ छंद बधाई स्वीकारें  रविकर जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 18, 2013 at 6:28pm

आदरणीय रवि कर जी , कुंडलिया मे आपका जवाब नही !! लाजवाब !! बधाई !!

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 18, 2013 at 3:16pm

आदरणीय रविकर सर आपकी कुण्डलिया छंद में जबरदस्त पकड़ है आप कमाल कर देते हैं इस विधा में. बेहतरीन कुण्डलिया छंद हेतु ढेरों बधाई स्वीकारें आदरणीय.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
7 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service