For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उफ़ तेरा हुस्न

देख कर लोग मेरे साथ में जल जाते है
हम कभी साथ में तनहा जो निकल जाते है

याद आये मेरी तस्वीर लगाना दिल से
देख तस्वीर तेरी हम भी बहल जाते है

तू में खाई है कसम साथ निभाना होगा
करके वादे को सभी लोग बदल जाते है

होके दीवाना मैं गलियों में फिरा करता हू
वह कभी सज संवर के जो निकल जाते है

है उन्हें नाज़ जवानी पे ये मगर ए अलीम
देखकर हमको सभी लोग अहल जाते है

aap kabhi bhi hume yaad kar sakte hai kyuki kuch dino ke liye aapse sabhi mafi chahta hu
ki ghazal likh nahi pauga yeh kah sakte hai online nahi apaunga agar aap koi baat karna chahate hai dial kare
07860734546,9307755423

Views: 544

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on May 24, 2010 at 4:35pm
देख कर लोग मेरे साथ में जल जाते है
हम कभी साथ में तनहा जो निकल जाते है
याद आये मेरी तस्वीर लगाना दिल से
देख तस्वीर तेरी हम भी बहल जाते है

अलीम साहेब,बहुत खूब.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 23, 2010 at 10:18am
waah aleem bhai waah , gardaa udaa diyey hai, jai hoooo, aur jaldi laut kar aaiyey, ham sabko aapka intjaar hai,
Comment by Admin on May 23, 2010 at 10:12am
देख कर लोग मेरे साथ में जल जाते है
हम कभी साथ में तनहा जो निकल जाते है,

वाह अलीम जी वाह , कुछ तो खाश है आपमे जो ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को आपकी रचनाओ का बड़ी बेसब्री से इन्तजार रहता है, ये ग़ज़ल भी काफ़ी उम्द्दा ग़ज़ल है, "हम कभी साथ में तनहा जो निकल जाते है" साथ भी और तनहा भी ये combination थोडा अलग तरीके का लग रहा है, बहुत बढ़िया , लगे रहिये अच्छा लिख रहे है,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 22, 2010 at 11:58pm
देख कर लोग मेरे साथ में जल जाते है
हम कभी साथ में तनहा जो निकल जाते है
waah bhai waah....lage rahiye.......aur jara jaldi aaiyega fir se humlogo ke beech...
Comment by Biresh kumar on May 22, 2010 at 11:31pm
है उन्हें नाज़ जवानी पे ये मगर ए अलीम
देखकर हमको सभी लोग अहल जाते है
apki kavita padh kar humsab bhi ahal jaate hai!!!
Comment by Ratnesh Raman Pathak on May 22, 2010 at 9:56pm
wah aleem jee apne to chand dino me hi obo pariwar ka dil jeet liya.
jate-jate aapne aisa gajal chod diya hai is munch par jo aapke aane tak apko yaad karne ke liye kaafi hai.................bahut bahut dhanyawad.
ek gujaris hai meri ...........

aapka ek bhai-------RATNESH RAMAN PATHAK

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
17 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
18 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
19 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service