For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज फिर उसका मन व्यथित था
हाहाकार कर रहा था हृदय
एक कथित पुरुष में
हैवान साकार हुआ था फिर.. 
फिर हैवानियत जीत गई थी 
नरपिशाच के पंजों में
आ गई थी 
फिर एक नन्ही /मासूम सी 
गुड़िया 
आज फिर उसने
अख़बार छिपाया.. 
टीवी के केबल 
निकाल दिये..
उसके भी घर मे  
एक गुड़िया है 
उससे आँख जो मिलानी है..!

आख़िर वह भी तो
एक मर्द है....
"मौलिक व अप्रकाशित" 
पिछला पोस्ट => तुम कैसे श्रेष्ठ ?

Views: 977

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 13, 2013 at 8:25am

विवेक भाई, आपके कहे से सहमत हूँ , कुछ वैसी ही परिस्थितियों में इस कविता ने जन्म ली, आपकी टिप्पणी बहुमूल्य है, बहुत बहुत आभार । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 13, 2013 at 8:23am

प्रिय आशीष नैथानी जी, कविता के भावों को सराहने और रचना पसंद करने हेतु आभार । 

Comment by विवेक मिश्र on August 13, 2013 at 12:30am
बाग़ी भाई - सच कहूँ तो पिछले दिनों की हृदय झकझोर देने वाली घटनाओं के बाद से स्वयं को पुरुष कहते हुए भी एक अजीब सा संकोच होता है। शायद इसी कारण आपकी इस सशक्त कविता से इतना जुड़ाव अनुभव कर रहा हूँ। फ़िलहाल, भीतर तक झकझोरती हुई इस कविता के सृजन पर हृदय से साधुवाद देता हूँ।
Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 13, 2013 at 12:08am
आज फिर उसने
अख़बार छिपाया.. 
टीवी के केबल 
निकाल दिये..
उसके भी घर मे  
एक गुड़िया है 

उससे आँख जो मिलानी है..!

कविता का सम्पूर्ण भाव इन पंक्तियों में समाया हुआ है |  आज का एक सच |
बढ़िया कविता आदरणीय बागी जी  |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 12, 2013 at 11:13pm

आपका बहुत बहुत आभार अमन कुमार जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 12, 2013 at 11:12pm

बहुमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया डॉ नूतन गैरोला जी । 

Comment by aman kumar on May 31, 2013 at 5:57pm
उसके भी घर मे  
एक गुड़िया है 
उससे आँख जो मिलानी है..!

 हम सब को ही आंख मिलनी है या झूखानी  है ,घर पर -बहार सब जगह !  

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on May 31, 2013 at 5:23pm

आज के समाज का छिपा काला चेहरा .. कहाँ कहाँ छिपाए फिरेगा ... अपने घर मे नजर दो चार क्या करेगा ... 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 28, 2013 at 9:34am

बहुत बहुत आभार आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 5, 2013 at 6:23pm

उत्साहवर्धन हेतु ह्रदय से आभार स्वीकार करें आदरणीया रेखा जोशी जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service