For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज फिर उसका मन व्यथित था
हाहाकार कर रहा था हृदय
एक कथित पुरुष में
हैवान साकार हुआ था फिर.. 
फिर हैवानियत जीत गई थी 
नरपिशाच के पंजों में
आ गई थी 
फिर एक नन्ही /मासूम सी 
गुड़िया 
आज फिर उसने
अख़बार छिपाया.. 
टीवी के केबल 
निकाल दिये..
उसके भी घर मे  
एक गुड़िया है 
उससे आँख जो मिलानी है..!

आख़िर वह भी तो
एक मर्द है....
"मौलिक व अप्रकाशित" 
पिछला पोस्ट => तुम कैसे श्रेष्ठ ?

Views: 1015

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 13, 2013 at 8:25am

विवेक भाई, आपके कहे से सहमत हूँ , कुछ वैसी ही परिस्थितियों में इस कविता ने जन्म ली, आपकी टिप्पणी बहुमूल्य है, बहुत बहुत आभार । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 13, 2013 at 8:23am

प्रिय आशीष नैथानी जी, कविता के भावों को सराहने और रचना पसंद करने हेतु आभार । 

Comment by विवेक मिश्र on August 13, 2013 at 12:30am
बाग़ी भाई - सच कहूँ तो पिछले दिनों की हृदय झकझोर देने वाली घटनाओं के बाद से स्वयं को पुरुष कहते हुए भी एक अजीब सा संकोच होता है। शायद इसी कारण आपकी इस सशक्त कविता से इतना जुड़ाव अनुभव कर रहा हूँ। फ़िलहाल, भीतर तक झकझोरती हुई इस कविता के सृजन पर हृदय से साधुवाद देता हूँ।
Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 13, 2013 at 12:08am
आज फिर उसने
अख़बार छिपाया.. 
टीवी के केबल 
निकाल दिये..
उसके भी घर मे  
एक गुड़िया है 

उससे आँख जो मिलानी है..!

कविता का सम्पूर्ण भाव इन पंक्तियों में समाया हुआ है |  आज का एक सच |
बढ़िया कविता आदरणीय बागी जी  |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 12, 2013 at 11:13pm

आपका बहुत बहुत आभार अमन कुमार जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 12, 2013 at 11:12pm

बहुमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया डॉ नूतन गैरोला जी । 

Comment by aman kumar on May 31, 2013 at 5:57pm
उसके भी घर मे  
एक गुड़िया है 
उससे आँख जो मिलानी है..!

 हम सब को ही आंख मिलनी है या झूखानी  है ,घर पर -बहार सब जगह !  

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on May 31, 2013 at 5:23pm

आज के समाज का छिपा काला चेहरा .. कहाँ कहाँ छिपाए फिरेगा ... अपने घर मे नजर दो चार क्या करेगा ... 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 28, 2013 at 9:34am

बहुत बहुत आभार आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 5, 2013 at 6:23pm

उत्साहवर्धन हेतु ह्रदय से आभार स्वीकार करें आदरणीया रेखा जोशी जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, मुझे उचित प्रतीत नहीं होता कि मैं उपर्युक्त संवाद-प्रक्रिया पर कुछ…"
13 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
18 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण धामहजी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
19 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
20 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"एक छोटा सा अंतर है किसी को अपना उस्ताद या गुरु मानते हुए संबाेधित करने और मंच पर किसी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने गिरह भी ख़ूब है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार एक ग़ज़ल क ही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखना एक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना उसकी तारीफ़ में जो…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service