For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो मानते हैं कि हो सकती उनसे कोई खता नहीं

खुद तक तो खुदा के सिवा कोई और पहुंचता नहीं|

वो जुस्तजू करते हैं हमारे क़दमों के निशाँ की भी

उनके हाथों में छुपे खंजर को तो कोई खोजता नहीं|

वो जिन्होंने तय की हैं बुलंदियां लाशों की सीढ़ी पे

कदमों में लगे खून से कब फिसल जाएँ पता नहीं|

वो हो जाते हैं नाराज़ हमारी ज़रा सी लडखडाहट से

जैसे उनके जहां में मदमस्त तो कोई गिरता नहीं|

वो हैं जैसे भी दूर उनसे सोच में भी नहीं हो सकते

बिना किनारों के तो कोई धारा सागर में बहता नहीं|

 

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 670

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 26, 2013 at 11:50pm

वीनस जी आपकी दाद के लिए तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 26, 2013 at 11:50pm

धन्यवाद अरविन्द अम्बर जी साहब

Comment by वीनस केसरी on July 27, 2013 at 1:13am

वाह भाई जी बहुत खूब ....

Comment by arvind ambar on July 25, 2013 at 4:17pm

waaaaaaaaaaaaaaaaaah

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 25, 2013 at 8:38am

आदरनीय डॉ आशुतोष जी मिश्रा, आपका बहुत बहुत आभार !

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 25, 2013 at 8:38am

केतन परमार जी, आपकी शुभकामनाओं के लिए तहे दिल से धन्यवाद !!

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 25, 2013 at 8:37am

अनुपमा बाजपाई जी, आप हार्दिक आभार !

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 25, 2013 at 8:37am

सौरभ पाण्डेय जी, आपकी राय के तहे दिल से धन्यवाद, आगे से  वज़्न को भी ग़ज़ल की प्रस्तुति के साथ दिया करूंगा|

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 24, 2013 at 9:52pm

मन को छु गयी ये रचना ..सादर बधाई 

Comment by Ketan Parmar on July 24, 2013 at 11:51am

आपके प्रयास के प्रति शुभकामनाएँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
9 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
17 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
20 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
47 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
22 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service