For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोष किसका??

 हेल्लो कौन बोल रही हो? मैं सीमा बोल रही हूँ आप कौन ? तेरी दुश्मन तू दोस्ती के नाम पर कलंक है तू दोस्त नहीं आज से  मेरी पक्की दुश्मन है तूने मेरा घर बर्बाद करवाया मेरे बेटे की जिंदगी खराब कर दी वो जाने क्या क्या बोलती रही  सीमा सन्न होकर सुनती रही और फिर फोन रख दिया उसका पूरा शरीर काँप रहा था दिमाग के सामने चार साल का द्रश्य घूम रहा था वही उसकी सहेली संतोष  २६  साल बाद इंटर नेट पर मिली दोनों ने पहचान लिया बातो बातों में पता चला की वो अपने लड़के के लिए लड़की ढूंढ रही है इधर सीमा की बहन अपनी लड़की के लिए लड़का ढूंढ रही है तो उसके मन में अपनी भांजी के रिश्ते की बात दिमाग में आई और संतोष से जिक्र किया तब से संतोष उसके पीछे पड़ गई कि मेरे बेटे की शादी अपनी भांजी से करवा दे  सीमा की बहन और बहनोई को भी रिश्ता पसंद आया सीमा ने अपने जीजा को कहा की वो इस परिवार से २ ६ साल पहले मिली थी अतः आप छान  बीन कर लें तब शादी करें किन्तु उनको रिश्ता इतना भाया कि आँख मूँद कर शादी कर दी शादी के बाद से ही उन्होंने लड़की को दहेज़ के लिए सताना शुरू कर दिया कई बार बहुत झगडे हुए सीमा की बहन के पति चुपके चुपके उनकी हर डिमांड पूरी करते रहे ,जब पानी सर से ऊपर हो गया इसी बीच सीमा के बहनोई और बहन के  बेटे ने सीमा को बुरा भला कहना शुरू किया की हमारी बेटी की जिंदगी बर्बाद करवा दी और अब से तुम हमारी दुश्मन हो ,और आज चार साल बाद जब संतोष के परिवार ने  लड़की को मारने की कोशिश की तो सीमा की बहन के घरवालो ने एफ आई आर लिखवाई तो हडबडा कर संतोष ने सीमा को जी भर के गालियाँ सुनाई और मारने तक की धमकी दे डाली कुछ ही मिनटों में ये सारे द्रश्य चित्रपट की तरह सीमा की आँखों के सामने घूम गए और वो मूर्तिवत बैठ गई ,उसने अपने पति को ये सब बातें बताई तो उसने कहा और करो समाज सेवा कितना मना  किया था तुम्हें की इन सब मामलों में नहीं पड़ना चाहिए पर तुमने एक ना सुनी अब भुगतो ये कहता हुआ पैर पटकता हुआ ऑफिस के लिए निकल गया सीमा सोच रही है की ऐसा मैंने क्या बुरा किया मैंने तो उनके जख्मों पर मरहम लगाया था  वो तेज़ाब कैसे बन गया किस को दोष दूँ क्या खुद को ???  
(पाठको को  अपनी राय खुलकर देने का आग्रह करती हूँ ,क्या सीमा ने उनकी हेल्प करके गलती की ?)
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 1015

Replies to This Discussion

समाज सेवा में तो अक्सर देर सबेर बुराई ही हाथ लगती है | और "नेकी करते हाथ जले" की कहावत चरितार्थ होती है |

पर फिर भी समाज सेवा अनिवार्य है,  हां जहां तक रिश्ते की बात है तो इसमें दो पहलु है -

१. पानी पीवे छानकर,  वर्ना फिर  पछताय |

२. फिर भाग्य अपना अपना,घटना जो घट जाय 

   

सादर 

 

आदरणीय लक्ष्मण जी तभी कहते हैं नेकी कर दरिया में डाल ,सोचो ही मत की भलाई मिलेगी तभी तो आज कोई भी किसी की मदद करते डरता है इस कहानी की नाइका सीमा को भी अक्ल आ गई होगी ,आपका बहुत  बहुत आभार 

पहले विवाह इसी तरह एक दूसरे  को रिश्ते बताकर ही होते थे किन्तु आज बताने वालों की ये हालत होती है सच कहा लोगों की सोच कहाँ से कहाँ आ गई है आपका हार्दिक आभार 

आदरेया दोष किसी का नहीं ये तो जीवन की विसंगतियां हैं,इनसे सामंजस्य बनाकर चलने में ही सार्थकता है।
मेरी समझ में सीमा बहन का कोई दोष नहीं,उन्होने कहा तो था कि अपना समझ लें,दूसरी बात इच्छा तो लड़के वालों ने भी की थी।
ये दोष शायद हमारी जाती हुई संवेदना और संस्कृति का है,जो हमारे सुख और समृद्धि का मूल है।
सादर

सच कहा वंदना  जी दोष हमारी मरती हुई संवेदनाओं का है जहां ना कोई किसी का साथ देना पसंद करता ,अहसान फरामोश हो जाते हैं लोग ,आपका हृदय से आभार इस डिस्कशन में जुड़ने और अपने विचार रखने पर 

आदरेया दोष किसी का नहीं ये तो जीवन की विसंगतियां हैं,इनसे सामंजस्य बनाकर चलने में ही सार्थकता है।
मेरी समझ में सीमा बहन का कोई दोष नहीं,उन्होने कहा तो था कि अपना समझ लें,दूसरी बात इच्छा तो लड़के वालों ने भी की थी।
ये दोष शायद हमारी जाती हुई संवेदना और संस्कृति का है,जो हमारे सुख और समृद्धि का मूल है।
सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service