For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - आया था लुत्फ़ लेने नवाबों के शह्र में

आया था लुत्फ़ लेने नवाबों के शह्र में

हैरतज़दा खड़ा हूँ नक़ाबों के शह्र में

आलूदा है फज़ाए बहाराँ भी इस क़दर

खुशबू नहीं नसीब गुलाबों के शह्र में

तहज़ीबे कोहना और तमद्दुन नफासतें

आया हूँ सीखने में नवाबों के शह्र में

ऐसी हसीं वरक़ को यहाँ देखता है कौन

हर सम्त जाहेलां है किताबों के शह्र में

बेहोश होने का न गुमां हमको हो सका

हर शख्स होश में है शराबों के शह्र में

चेहरे पे सादगी है तो जुल्फें सुफैद हैं

ये कौन आ गया है खिज़ाबों के शह्र में

अल्लाह वाले खौफज़दा होते ही नहीं

नेकी के शहर में, न अज़ाबों के शह्र में

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 691

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arvind Kumar on July 11, 2013 at 2:32am

ऐसी हसीं वरक़ को यहाँ देखता है कौन

हर सम्त जाहेलां है किताबों के शह्र में...

वाह

Comment by वीनस केसरी on July 11, 2013 at 2:07am

जिंदाबाद भाई जिंदाबाद

मअयारी ग़ज़ल कही है .... मज़ा आ गया

Comment by MAHIMA SHREE on July 7, 2013 at 3:14pm

आया था लुत्फ़ लेने नवाबों के शह्र में

हैरतज़दा खड़ा हूँ नक़ाबों के शह्र में... बहुत ही सुंदर गजल आदरणीय .. हार्दिक बधाई आपको

Comment by वेदिका on July 7, 2013 at 6:53am

वाह!

बेहद ही सुंदर गजल!!

एक निवेदन करना चाहती थी आपकी गजल के माध्यम से, जो की पहले भी कई बार किया जा चुका है, "अगर गजल की प्रस्तुति के साथ साथ में बहर भी दे दी जाये, तो हम जैसे नौसिखियों का बहुत भला होगा!! 

Comment by shashi purwar on July 6, 2013 at 11:21pm

bahut sundar gajal

चेहरे पे सादगी है तो जुल्फें सुफैद हैं

ये कौन आ गया है खिज़ाबों के शह्र में

waah

Comment by coontee mukerji on July 5, 2013 at 7:48pm

चेहरे पे सादगी है तो जुल्फें सुफैद हैं

ये कौन आ गया है खिज़ाबों के शह्र में...............बहुत खूब!

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 5, 2013 at 6:24pm

आदरणीय     सुशिल साहिल  

जी जितनी बार पढो उतना मज़ा आता है 
भाव को आत्मसात करने में अच्छा लगता  है 

तहज़ीबे कोहना और तमद्दुन नफासतें ---// इसमें और की जगह  शायद  'ओ' आना था. टंकन की ग़लती लगती  है 

आया हूँ सीखने में नवाबों के शह्र में

सादर आभार 
Comment by Sumit Naithani on July 5, 2013 at 2:41pm

सुंदर रचना 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 5, 2013 at 9:37am

बहुत खूबसूरत गज़ल पेश की है आ० सुशील ठाकुर जी 

ह्रदय से बहुत बहुत बधाई

Comment by रविकर on July 5, 2013 at 8:14am

वाह भाई जी वाह-
सादर बधाइयां -

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
14 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
33 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
35 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मनुष्य से आवेग जनित व्यवहार तो युद्धभा में भी वर्जित है और यहां यदा-कदा यही आवेग ही निरर्थक…"
35 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी हुई। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
43 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपके…"
46 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"2122 - 1122 - 1122 - 112 / 22 हमने सीखा है ये धड़कन की ज़बानी लिखना दिल पे आता है हमें दिल की…"
49 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बे-म'आनी को कुशलता से म'आनी लिखना तुमको आता है कहानी से कहानी लिखना यह शेर किसी के हुनर…"
50 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज सर, बहुत समय बाद आयोजन के लिए ग़ज़ल कही है। आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी…"
55 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, मुझे उचित प्रतीत नहीं होता कि मैं उपर्युक्त संवाद-प्रक्रिया पर कुछ…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service