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दुनिया मुझे न समझे, तो अच्छा है !

दुनिया मुझे न समझे, तो अच्छा है !

जीवन का मुझको, अभी ज्ञान कहा ,
कैसे जीना है,मुझको , इसका  भान कहा ,
सारे भव सागर का विष पी  लू, तो अच्छा है ॥ 
पर शिवतत्व का, मुझको अभी मान कहा ,
शव से बन जाऊ शिव, ऐसी  जीवन मे  तान कहा ,
तुम मुझको न मिल पाओ , तो अच्छा है ॥ !
 अभी भी मन कच्चा है, मेरा साचे प्रेम का पान कहा ,
छुने को मन करता है, देह नश्वर  है ये सम्मान कहा ,.....
    
मोलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 642

Comment

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Comment by aman kumar on June 27, 2013 at 11:08am

वीनस जी और आमोद भाई का आभार ! 

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 27, 2013 at 11:02am

शव से बन जाऊ शिव, ऐसी  जीवन मे  तान कहा . वाह  अमन भाई ..sundar .  इस प्रस्तुति पे आपको हार्दिक बधाई...

Comment by वीनस केसरी on June 19, 2013 at 9:50am

सुन्दर रचना है 
बधाई स्वीकारें 

वस्तुतः टंकण त्रुटि के कारण हर जगह कहाँ शब्द कहा रह गया है जो बहुत खटक रहा है 

Comment by aman kumar on June 17, 2013 at 12:01pm

आपका सुक्रिया मीना जी विजय श्री जी  सहयोग बनाये रखे !

Comment by Meena Pathak on June 15, 2013 at 6:40pm

शव से बन जाऊ शिव, ऐसी  जीवन मे  तान कहा

बहुत सुन्दर   ...बधाई आप को 

Comment by vijayashree on June 14, 2013 at 12:39pm

सुंदर अभिव्यक्ति

Comment by aman kumar on June 14, 2013 at 10:14am

आपका आभार प्रियंका जी , कुंती जी , 

सहयोग बनये रखे ! 

Comment by Priyanka singh on June 14, 2013 at 1:19am

बहुत खूब  ......शुभकामनाये आपको 

Comment by coontee mukerji on June 14, 2013 at 12:53am

अभी भी मन कच्चा है, मेरा साचे प्रेम का पान कहा , छुने को मन करता है, देह नश्वर  है ये सम्मान कहा ,... बहुत सुंदर /कुंती

Comment by aman kumar on June 13, 2013 at 3:23pm

आप का आभार !वनिता जी , प्रज्ञा जी 

कृपया ध्यान दे...

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