For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी
दर्द है या गम,
कि है नीरस सावन,
या कागज कोरा..
जाती हुयी शाम को ..
आती हुयी रात को ..
खिलखिलाती वो हंसी को,
पंक्षियों के कोलाहल को...
उसको है विश्वास
आएगा फिर सुप्रभात ..
होगी हर तरफ रौशनी ..
न होगी कोई परेशानी ..
जिंदगी है ..
बस यही  विश्वास .. विश्वास.. विशवस ..



" मौलिक व अप्रकाशित "

Views: 377

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2013 at 8:30pm

जींदगी के रंजोगम में ख़ुशी की सहर के विश्वास को बलवती करती सुन्दर रचना, किन्तु कई जगह लगा इसे जबरदस्ती खिंच कर लंबा करें का प्रयास किया है.सादर 

Comment by vijay nikore on May 29, 2013 at 3:04am

आदरणीय आमोद जी:

 

//जिंदगी
दर्द है या गम,
कि है नीरस सावन,
या कागज कोरा.. //

 

भाव अच्छे लगे। बधाई।

सादर,

विजय

Comment by coontee mukerji on May 28, 2013 at 1:33pm

अमोद जी , आपकी हर पंक्तियों में जिंदगी की अनेक सवाल छिपी हुई है , अगर आप नये लेखक है तो अपना जज्बा  बनाए रखियेगा  , आपमें संवेदनशीलता है . बहुत आगे बढ़ेंगे..........अपने भावों को और स्पष्ट करते हुए विस्तार देने का प्रयत्न  करेंगे तो रचना बहुत ही उत्कृष्ट हो जाऐगे ................./सादर /   कुंती .

Comment by aman kumar on May 28, 2013 at 12:10pm

बहुत सुन्दर रचना …..बधाई........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 28, 2013 at 11:28am

ज़िंदगी के प्रति सकारात्मक नज़रिए से पगी सुन्दर भावाभिव्यक्ति..के लिए हार्दिक बधाई आ० आमोद जी 

लेकिन कुछ अस्पष्टता रह गयी शायद..

खिलखिलाती वो हंसी को,...........यहाँ वो मुझे स्पष्ट नहीं हुआ 
पंक्षियों के कोलाहल को...

सादर.

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on May 27, 2013 at 10:53pm

जिंदगी के प्रति एक सुखद विश्वास झलक रहा है
बढ़िया कविता भाई अमोद जी !

Comment by Abhinav Arun on May 27, 2013 at 9:30pm

अच्छे भाव विचारपरक रचना श्री आमोद जी ! बधाई !! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
10 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें"
13 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
20 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, बहुत धन्यवाद"
20 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
21 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी जी, बहुत धन्यवाद"
22 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . संबंध

दोहा सप्तक. . . . संबंधपति-पत्नी के मध्य क्यों ,बढ़ने लगे तलाक ।थोड़े से टकराव में, रिश्ते होते खाक…See More
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"अगर ये ग़ज़ल बेकार है आदरणीय अमित जी तो कुछ सुझाव दे दीजिए आप कुछ सुझाव दे दीजिए सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service