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तू ये ना समझना , तेरी याद ने रुलाया है ,

तेरी आँख का कोई आँसू है , मेरी आँख से आया है ,

तू ये ना समझना , तेरे खुशबू ने बुलाया है ,
हवा का कोई झोंका है , तेरे ज़िस्म को छू के आया है ,

तू ये ना समझना , तेरी आहट ने जगाया है ,
चाँद का कोई टुकड़ा है , खिड़की से उतर आया है ,

तू ये ना समझना , तेरी बात ने गुदगुदाया  है ,
यादों का कोई मोती है  , अनजाने हाथ आया है .

अश्क

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 500

Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 1:08pm

वाह! बहुत सुन्दर भाव प्रस्तुत करती रचना पर बहुत बहुत बधाई कुबुलें.

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on April 22, 2013 at 9:33pm

सुन्दर भाव आदरणीय अशोक जी |

Comment by अशोक कत्याल "अश्क" on April 22, 2013 at 2:22pm

Dr. Khare sir ,

thanx a lot for your appriciation ,

Regard ,

Ashok Katyal

Comment by Dr.Ajay Khare on April 22, 2013 at 1:17pm

dambh v pyaar ka bhav sunder badhai

Comment by अशोक कत्याल "अश्क" on April 20, 2013 at 8:16am

बहुत बहुत आभार , कुंती जी , वर्मा जी ,
सादर

Comment by coontee mukerji on April 20, 2013 at 1:13am

बहुत खूब अश्क जी .

Comment by Shyam Narain Verma on April 19, 2013 at 3:27pm

bAHOT KHOOB..

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