For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मृत्यु प्रिया

नश्वर जग
तुम नित्य सदा से
मैंने ये पाया
------------
तुम निष्पक्ष
आज अराजक है
ये जग जब
------------
दयावान तू
उबे,थके,दुखी के
कर गहती
------------
छिद्र बहुत
जग ने कर डाले
गले लगा ले
-------------
नौका पाई थी
भव से तरने को
इसे नसाया
-------------
ये रिश्ते नाते
हैं लक्ष्य मे बाधक
तू मिलवा दे
------------
तुझे दुलारूं
मृत्यु प्रिया जाने क्यूं
सब डरते
-विन्दु

Views: 691

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 2:36pm

छिद्र बहुत
जग ने कर डाले
गले लगा ले

अति सुन्दर 

बधाई सादर 

वन्दना जी 

Comment by Vindu Babu on March 23, 2013 at 10:24pm
आदरणी लक्ष्मण प्रसाद जी,आदरणीय रक्ताले महोदय,आदरणीय अजय जी आपकी प्रतिक्रया उत्साहवर्धक है जो मुझे अग्रिम प्रयास के लिए प्रेरित करती है।
सादर आभार
Comment by Vindu Babu on March 23, 2013 at 10:22pm
श्री शिरोमणि जी आपका सादर आभार।
परम आदरणीय निकोर महोदय साधारण सी रचना की सराहना कर महत्वपूर्ण बनाने के लिए आपकी आभारी हूं।
-वन्दना
Comment by Dr.Ajay Khare on March 23, 2013 at 1:43pm

vandna ji sundr rachna badhai

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 23, 2013 at 9:05am

छिद्र बहुत
जग ने कर डाले
गले लगा ले...........वाह! अति सुन्दर.

 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 22, 2013 at 9:44pm

अच्छे प्रयास के लिए बधाई वंदना तिवारी जी 

Comment by vijay nikore on March 22, 2013 at 6:20pm

वंदना जी:

 

रचना में भाव अच्छे लगे,

मन को छू गए।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by ram shiromani pathak on March 22, 2013 at 2:30pm

आदरणीया वंदना तिवारी जी,बढ़िया हायकू प्रयास......... ढ़ेर सारी शुभ कामनाएं ।सादर

Comment by Vindu Babu on March 22, 2013 at 10:36am
आदरेय केवल प्रसाद जी आपका बहुत शुक्रिया।
आपकी टिप्पणी मेरा सम्बल हैं।
सादर
Comment by Vindu Babu on March 22, 2013 at 10:33am
आदरणीया प्राची जी हायकू मे ये मेरा पहला प्रयास है,मार्गदर्शन के लिए आपका सादर आभार।
महोदया मेरा यहाँ(obo) उपस्थित होने का उद्देश्य स्वयं को प्रस्तुत/लोकप्रिय करने से पहले आप विद्वत जनों से सम्पर्क और सीखना है,आशा करती हूं आपका स्नेहात्मक सहयोग मिलता रहेगा।
सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service