For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिछोह

कभीसोचा न था जो हुआ

कल्पना से परे

ये तुमने किया

यकीन नहीं

होगा भी क्यों

तुम ही तो थी मेरा बिश्वास

दिल के सबसे पास

सांसो में वास

सिर्फ तुम्हारा अहसास

बक्त जो गुजारा हमने

देखे थे सपने

सव नेस्तनाबूद

ख़त्म मेरा बजूद

कहा था तुमने में तुम बनेगें हम

किन्तु सब ख़तम

जरुर छीड़ पड़ी तुम्हारी स्मरण शक्ति

मेरा प्यार भक्ति

तुम वेबफा हो जानता नहीं

 तुमने छल किया मेरी मान्यता नहीं

चलो चुन लिया तुमने किसी और को

किन्तु में भूल नहीं पाउँगा इस दौर को

तुमने चुभोई हे दिल में फांस

टीसती रहेगी जब तक हे सांस

Dr Ajay Khare Aahat

Views: 438

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Ajay Khare on January 24, 2013 at 4:23pm

SABHI ATMIYA JANO KO HOSALA AFJAI KE LIYE SADHUBAD

Comment by upasna siag on January 24, 2013 at 3:50pm

मर्म को छूती हुए सुन्दर अभिव्यक्ति .....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 23, 2013 at 10:48pm

बेहतर अभिव्यक्ति...

सुना है, कवि या संवेदनशील व्यक्ति मौज़ूं हालात का चश्मदीद होता है. उम्मीद है, आपके अंदर का रचनाकार तह्यपरक रचनाएँ प्रस्तुत कर हमें आपके अन्य सोच समृद्ध रूप से परिचित करायेगा.

सधन्यवाद

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 22, 2013 at 4:10pm

बहुत सुन्दर सर जी बधाई हो इन भावों के लिए 

Comment by Dr.Ajay Khare on January 22, 2013 at 3:16pm

nikor sahib sadhubad

Comment by vijay nikore on January 21, 2013 at 11:03pm

भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति।

बधाई।

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
21 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service