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हाथ मिलाते रहिये

दिल मिले या ना मिले हाथ मिलाते रहिये,
प्यार की रस्म को आगे बढ़ाते रहिये |


अंधेरों मे ही ना गुजर जाय जीवन का सफ़र,
प्यार की शमा को दिल मे जलाते रहिये |


रहता यूँ चमन मे बिजलियों के गिरने का डर,
चाहत के फूलों को दिल मे खिलाते रहिये |


रोने गाने मे हो ना जाएँ सारी उमर तमाम,
उलफत के जाम को खुद पीकर पिलाते रहिये |


चले है जब तो मिल ही जाएगी मंज़िल हमको
अलबिदा कहते हुए हाथ हिलाते रहिये |

  • Dr.Ajay Khare Aahat

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Comment by Ashok Kumar Raktale on January 25, 2013 at 7:19pm

अंधेरों मे ही ना गुजर जाय जीवन का सफ़र,
प्यार की शमा को दिल मे जलाते रहिये |

वाह डॉ. अजय खरे साहब सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.

Comment by Dr.Ajay Khare on January 10, 2013 at 6:57pm

adarniy kushwaha ji hosla afjai hetu thanybad

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 3:29pm

आदरणीय अजय जी 

सादर 

दिल मिले या ना मिले हाथ मिलाते रहिये

प्यार की रस्म को आगे बढ़ाते रहिये

कट जाएगा जीवाण सफर 

ऐसे हि पैगाम सुनाते रहिये 

बधाई.

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