For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उमड़ते विचार ..

टूटती सी ताल है ,भेड़िये की खाल है ..
चीख भी न सुन सके ,कानों का ये हाल है।।
बात तो तपाक सी ,गंदली नापाक सी ..
रोम रोम जल उठे ,'तीन पात ढाक' सी ..
गंगा निर्मल कहाँ ,प्रण में अब बल कहाँ ..
स्वच्छ जलधार हो ,कोई भी हल कहाँ?
स्वदेश है पुकारता ,स्वजनों से हारता ,
हिन्द के लिए कहाँ ,स्वयं कोई वारता ?
कुर्सी में गोंद है, उठना मोहाल है
मोटी सी तोंद है,गीदड़ सा हाल है ..
किसको पुकारते,किस पथ निहारते ?
अपनों पे घात को ,चुप से स्वीकारते ..
कोई परिवर्तन हो,कभी आत्म मंथन हो ..
सत्य ह्रदय में जागे ,पुनः हिन्द वंदन हो ..

Views: 517

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Lata R.Ojha on January 17, 2013 at 2:32am

 Rajesh kumari ji बहुत बहुत धन्यवाद आप का :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 14, 2013 at 8:43am

इस खूबसूरत प्रवाह युक्त समसामयिक रचना हेतु बहुत बहुत बधाई लता जी 

Comment by Lata R.Ojha on January 14, 2013 at 3:15am

Er. Ganesh Jee "Bagi  ji, SANDEEP KUMAR PATEL ji , Saurabh Pandey ji  और   PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA ji बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का  !

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 13, 2013 at 4:21pm

कोई परिवर्तन हो,कभी आत्म मंथन हो ..
सत्य ह्रदय में जागे ,पुनः हिन्द वंदन हो

आदरणीया लाता जी सादर 

बहुत बढ़िया बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2013 at 3:54pm

अंतरगेयता से पगी इस कविता के लिए हृदय से धन्यवाद, आदरणीया लता जी.एक अरसे बाद आपको इन पन्नों में देखना सुखद लगा.

इन पंक्तियों के लिए विशेष बधाई स्वीकार करें -

स्वदेश है पुकारता ,स्वजनों से हारता ,
हिन्द के लिए कहाँ ,स्वयं कोई वारता ?

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 13, 2013 at 10:06am

सच कहा
ये उमड़ते विचार हर किसी के मन में लोट रहे हैं
लेकिन ये सब कुछ लोग व्यक्त करते हैं
कुछ नहीं
बधाई हो


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 12, 2013 at 8:14pm

//कोई परिवर्तन हो,कभी आत्म मंथन हो ..
सत्य ह्रदय में जागे ,पुनः हिन्द वंदन हो ..//

प्रत्येक भारतीय के दिल की बात कह दी है आपने, अच्छी रचना आदरणीया लता जी, बधाई हो |

Comment by Lata R.Ojha on January 12, 2013 at 7:06pm
Comment by अरुन 'अनन्त' on January 12, 2013 at 11:06am

आदरणीया बेहद मार्मिक प्रस्तुति, समाज में हर दिन बढ़ती बुराइयों का सुन्दर विवरण, हार्दिक बधाई .

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 12, 2013 at 11:03am

aatma manthan jaroor ho.......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service