For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

===========ग़ज़ल=============

ग़मों के दौर में जब मुस्कुराने का हुनर आया
हमें बंजर जमीं पे गुल खिलाने का हुनर आया

भरोसा तोड़ कर तुमने दिया हर बार धोखा यूँ
मुसलसल चोट खाकर आजमाने का हुनर आया

खुदा होता निहां है पत्थरों में मान बैठा हूँ
मुझे यूँ संग से भी दिल लगाने का हुनर आया

अदा से क़त्ल करती है तबस्सुम से ग़ज़ब ढाती
उसे जबसे निगाहों को झुकाने का हुनर आया

रकीबों की बसा तस्वीर दिल के आशियाने में
चरागों को बुझा के दिल जलाने का हुनर आया

दिए अल्फाज दिल के दर्द को आवाज आहों को
मुझे भी तब ग़ज़ल कहने सुनाने का हुनर आया

हसीं यादें रखीं ताज़ा बुरे दिन भूल जाता हूँ
उसे यूँ याद करके भूल जाने का हुनर आया

दिखा कर झूठ उसके सामने खुद हो गया झूठा
तभी से "दीप" आईना दिखाने का हुनर आया

संदीप पटेल "दीप"

Views: 396

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 21, 2012 at 3:39pm

आदरणीय उमाशंकर सर जी सादर प्रणाम
आपने ग़ज़ल को सराहा उत्साह दो गुना हो गया
ये स्नेह यूँ ही अनुज पर बनाये रखिये
आपका बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार

Comment by UMASHANKER MISHRA on September 21, 2012 at 12:46pm

प्रिय संदीप जी हर एक लाईन पर 

दाद ..बहुत खूब है 

हार्दिक बधाई स्वीकारें 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 21, 2012 at 10:55am

आदरणीय सुजान जी सादर नमन
आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपने अपना वक़्त दिया
इसके लिए मैं आभार व्यक्त करता हूँ
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 21, 2012 at 10:54am

परम आदरणीय सौरभ सर जी सादर प्रणाम
कुछ व्यस्तताओं के चलते मैं अपेक्षा से कम समय दे पा रहा हूँ इसके लिए बेहद दुःख है
आपकी मिली ये प्रतिक्रिया तारीफ़ किसी आशीर्वाद से कम नहीं है
ये स्नेह यूँ ही नादाँ पर बनाये रखिये
आपका बहुत बहुत आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 21, 2012 at 10:52am

आदरणीय डाबरे जी सादर प्रणाम
आपको मेरी ये ग़ज़ल पसंद आई और आपसे इस कहन को दाद मिली
इस हौसलाफजाई के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 20, 2012 at 10:19pm

क्या बात है......हसीं यादें रखीं ताज़ा बुरे दिन भूल जाता हूँ
उसे यूँ याद करके भूल जाने का हुनर आया

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 20, 2012 at 10:13pm

वाह खूबसूरत है। बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 20, 2012 at 4:24pm

भाई संदीपजी, ग़ज़ब !

कुछ आजकी, कुछ परंपराओं की कहन को क्या ही जबर्दस्त अंदाज़ में आपने पेश किया है कि मन वाह-वाह कर उठा है. मतले से लेकर आखिर शेर तक एक रौ में पढ़ता गया. दिली दाद कुबूल कीजिये. भाई.. .

Comment by प्रमेन्द्र डाबरे on September 20, 2012 at 4:24pm

संदीप जी आप की  इस ग़ज़ल पर हमारे सारे ख्याल कुर्बान...........प्रमेन्द्र डाबरे

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
6 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
30 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय को सार्थक करतीब हुत बढ़िया दोहावली की प्रस्तुति। इस…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आपने पर्यावरण के विभिन्न आयामों को सम्मिलित करते हुए एक बढ़िया प्रस्तुति दी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय पर बढ़िया कुंडलिया छंद हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। इस प्रस्तुति…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"धुंध गहरी और खाई दिख रही है  अब तरक्की में तबाही दिख रही है। बोझ से घायल हुआ सीना जमीं…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service