For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक २६

परम आत्मीय स्वजन, 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के शानदार पच्चीस अंक सीखते सिखाते संपन्न हो चुके हैं, इन मुशायरों से हम सबने बहुत कुछ सीखा और जाना है, इसी क्रम में "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक २६ मे आप सबका दिल से स्वागत है | इस बार का मिसरा हिंदुस्तान के मशहूर शायर जनाब राहत इन्दौरी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है। इस बार का मिसरा -ए- तरह है :-

 .

"उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो"
    २१२        २१२        २१२       २१२ 
फाएलुन   फाएलुन   फाएलुन   फाएलुन

रदीफ़      : करो 
क़ाफ़िया  : आया (कमाया, उड़ाया, चबाया, खिलाया, लगाया इत्यादि) 

.

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २६ अगस्त २०१२ दिन रविवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक २८ अगस्त २०१२ दिन मंगलवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा | 


अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक २६ जो पूर्व की भाति तीन दिनों तक चलेगा, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी | कृपया गिरह मतले के साथ न बांधे अर्थात तरही मिसरा का प्रयोग मतले में ना करें |  मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है:-

 


( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २६ अगस्त २०१२ दिन रविवार लगते ही खोल दिया जायेगा ) 

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें | 


    मंच संचालक 
राणा प्रताप सिंह
 
(सदस्य प्रबंधन समूह) 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

Views: 18775

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय शरीफ अहमद कादरी जी ..दिल से कुबूल ..आपका आभार

वाह वाह उमा शंकर जी बिलकुल प्यार में पगी मीठी गज़ल सभी शेर पढ़ कर आनंद आ गया कोई नसीहत नहीं कोई गहरी बात नहीं बस पढते जाइये बहुत प्यारी गज़ल .........

मनचली  है  हवा  ओढ़नी   ओढ़ लो
इन हवाओं  से  दामन  बचाया  करो|......सुन्दर 

बहुत बहुत बधाई 

आदरणीया सीमा जी

आपका तहे दिल से शुक्रिया

उमाशंकर भाई क्या ग़ज़ब ढा दिया आपने......ग़ज़ल तो सुंदर है ही ....उसके लिए तो आप बधाई के पात्र हैं...लेकिन मतला तो कई शेरों पर अकेले भरी पद गया है...बहुत जानदार, खूबसूरत और नयापन लिए ...

जल्वे  हम पे  भी थोड़े  लुटाया करो, खिड़कियों  पर  न परदे लगाया करो|

खिड़कियों  पर  परदे लगाने  का तो ग़ज़ब रंग है.....

डाक्टर साहेब आपकी ये....

इनायत हमें विभोरित कर रही है

दिल से शुक्रिया 

आदरणीय उमाशंकरजी,  कहाँ से हम शुरू हो कर कैसे खत्म करें .. आप तो अनादिअंत हो गये हैं .. :-))))

खिड़की के पर्दे, हवा में ओढ़नी, बेबोल के गीत, ख़्वाब और ज़न्नत.. यानि बहकाने का पूरा सामान जमा कर रखा है. और कहते हो कि .. उँगलियाँ यूँ न मुझ पर उठाया करो.. .   वाह !

आदरणीय सौरभ जी

आपकी प्रतिक्रिया

पा धन्य हो गया

 आपकी  ये टिप्पणी बहुमूल्य है

हार्दिक आभार

वाह वाह क्या  बात है खूबसूरत ग़ज़ल कही है
आदरणीय उमाशंकर सर जी
दाद क़ुबूल कीजिये

प्रिय संदीप

बहुत बहुत धन्यवाद

//जल्वे हम पे भी थोड़े लुटाया करो
खिड़कियों पर न परदे लगाया करो| //  वाह वाह वाह - क्या मासूम सी ख्वाहिश है. सुन्दर मतला.

//ये कैसी तड़प है तेरे प्यार की
यूँ नजर फेर कर ना सताया करो| // शेअर के भाव बढ़िया हैं मगर पहला मिश्रा वजन से भटका हुआ है, रवानी नहीं बन पा रही है, थोडा सा ध्यान दें.

//चाँद ने चाँदनी डाल दी चाँद पर
चाँद घूँघट में यूँ न छिपाया करो| // वाह वाह वाह !!!

//मनचली है हवा ओढ़नी ओढ़ लो
इन हवाओं से दामन बचाया करो| // बहुत खूब ! "ओढ़नी ओढ़ लो" को "ओढ़ लो ओढ़नी" कर दीजिए तकाबुले-रदीफ़ का ऐब दूर हो जायगा.     

//लब थिरकते हुए अनकही कह गये
शब्द अनहद का यूँ न बजाया करो| // कमाल का शेअर ! हासिल-ए-ग़ज़ल. 

//आज लग कर गले हम चलो झूम लें
ख्वाब में ही न जन्नत दिखाया करो| // आदरणीय भाई जी, व्याकरण की दृष्टि से "झूम ले" और "दिखाया करो" की जुगलबंदी कुछ जम नहीं रही है. थोड़ी सी नज़र-ए-सानी दरकार है.     

//सब पे तोहमत लगाना गलत है सनम
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो| // बहुत खूब, अच्छी गिरह लगाई है. .

आदरणीय योग राज जी आपकी प्रतिक्रया  सर आँखों पे

आदरणीय गजल के मामले में हम तो बस लय में डूब जाते हैं

दिल जो भी गुनगुना दे उसे उतार  लेतें है

 सुधार  कार्य हेतु कोशिस जारी  रहेगी

आपकी बातें ध्यान में रहेगी

आपका बहुत बहुत शुक्रिया

मालिक खुद मैं भी ऐसा ही करता हूँ, मगर कुछेक पाबंदियां ऐसी हैं जिनका ग़ज़ल में पालन करना ही पड़ता है - भाषा और व्याकरण जिनमे एक हैं , बस उसी जानिब इस हकीर बन्दे ने इशारा किया था, सादर. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service