For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक २० ( Now closed with 1007 Replies )

आदरणीय साहित्य प्रेमियों

सादर वन्दे,

"ओबीओ लाईव महा उत्सव" के २० वे अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. पिछले १९ कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने १९   विभिन्न विषयों पर बड़े जोशो खरोश के साथ और बढ़ चढ़ कर कलम आजमाई की. जैसा कि आप सब को ज्ञात ही है कि दरअसल यह आयोजन रचनाकारों के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है, इस आयोजन पर एक कोई विषय या शब्द देकर रचनाकारों को उस पर अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है:-

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक २०      

.
विषय - "जल "

आयोजन की अवधि- ८ जून २०१२ शुक्रवार से १० जून २०१२ रविवार तक  

तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दे डालें अपनी कल्पना को हकीकत का रूप, बात बेशक छोटी हो लेकिन घाव गंभीर करने वाली हो तो बात का लुत्फ़ दोबाला हो जाए. महा उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |


उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है: -

  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि) 

 

अति आवश्यक सूचना :- "OBO लाइव महा उत्सव" अंक- २० में सदस्यगण  आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ  ही प्रस्तुत कर सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |

 

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो शुक्रवार ८ जून लगते ही खोल दिया जायेगा ) 

 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

"महा उत्सव"  के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...

"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

(सदस्य कार्यकारिणी)

ओपन बुक्स ऑनलाइन  

 

Facebook

Views: 17355

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आभार

"सूरज" की किरणें पड़ें , इंद्रधनुष तन जाय

पानी की इक बूँद भी  , हीरे - सी  बन जाय |

अधजल गगरी छलकती, भरी न छलके बूँद
समझ इशारों को जरा ,मत आँखों को मूँद |

अनुशासित जीवन जीयें ,प्रकृति के अनुकूल
अरुण अभी भी वक़्त है , चलो सुधारें भूल |

वाह निगम साहेब वाह ....... सही कहा आपने ..... भूल सुधारने का अभी वक़्त है वरना वह दिन दूर नहीं जब सारे समाधान भी समस्या बन चुके रहेंगे ..... शानदार रचना के लिए बधाई

मपतपुरी जी आपका , बहुत बहुत आभार

हरदम यूँ मिलता रहे, निर्मल निश्छल प्यार |

बहुत सुन्दर दोहे हैं आदरणीय निगम जी...हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये...

"जल संकट "

मित्रो "जल संकट "एक बड़ी और गंभीर समस्या है जिसके लिए जल्द से
जल्द कदम नहीं उठाये गए तो तृप्ति क्या होती है
प्यासे इंसान को भूलना ही पड़ेगा और जीवन की कल्पना
भी नहीं की जा सकती है ,
उसी विषय को लेकर आपके सामने
एक कविता का रूप देने का प्रया किया है .................
शायद आप सबको आभाष हो की जल की क्या कीमत है

"जल संकट "

बचपन में एक बात सुनी थी नानी से
भोजन भजन जरूरी जीवन पानी से

ये पानी जो सहज
सुलभ ही मिल जाता है
पीते ही मुरझाया चेहरा खिल जाता है

जीवन की आधारशिला ये पानी है
पञ्चतत्व में कोई न इसका सानी है

तीन चौथाई धरा पे केवल शासन करता पानी है
धन्य भाग्य है मछली तेरे तू जो इसकी रानी है

पानी पानी मैं भेद बताना ये भी कठिन कहानी है
कहीं है मीठा झरना कलकल
कहीं का खारा पानी है

धरती के है ऊपर पानी ,धरती के है नीचे पानी
पानी की क्या कीमत भैया इंसानों ने ना पहचानी

एक रसायन भी है पानी
इसे H2O कहें सब ज्ञानी

तीन अवस्था इसकी जानी , ताप करे इनसे मनमानी
बर्फ भी पानी भाप भी पानी , पानी रहता तो भी पानी

इसके स्त्रोत बड़े अनमोल
जिनको हम सब माँ कहते
नदियाँ बहती रहती लेकिन
सम्पूर्ण प्रदूषण को सहते

बचपन में देखे थे मैंने हरे भरे कुछ ताल तलैया
कमल कुमिदनी खिलती उनमे औ पानी भरती थी मैया

जाने क्या इंसान के मन में फिर आया
भूल गया वो धरती पर जल की माया

सबको दूषित किया, ना कोई बच पाया
नदियाँ बना के नाले, गटर उसको भाया

सारे जंगल काटे बदली वन काया
रुके ना वर्षा जल भी, संकट है छाया

जंगल कट गए बर्षा जल न रुक पाता
बिगड़े जब ये साम्य कहर भी जल लता
बाढ सुनामी ज्वार भाटा है ये लाता
कारण एक मनुष्य जिसे ये सब भाता

डरे डरे सब इंसां कहर है अब आया
जल स्तर घट गया पम्प भी है थर्राया

सोक्स(SOX) नोक्स(NOX) की अब तो छाई है माया
शुद्ध रही ना बारिश बूंदों की काया

भूमिगत जल भी तो दूषित हो रहा है
दूषित करने वाला देखो सो रहा है
संसाधन का दोहन ऐसे हो रहा है
त्राहि त्राहि कर देखो पानी रो रहा है

कारखानों से गन्दगी इस कदर है आती
गंगा जैसी नदियाँ भी दूषित कर जाती

सूख गयी कई नदियाँ अब नाला
बन कर
बंजर हो गयी धरा तपिश ये सह सह कर

हैजा डेंगू फ़ैल रहा, नित नयी बीमारी होती है
दूषित हो गयी गंगा की, जल धार ये कह कह रोती है

अब न रहा ऋषि कोई जो भागीरथ बनने वाला
अब तो सोच रे इंसां तू ये क्या है तूने कर डाला

कौन लाएगा गंगा फिर से कौन जपेगा अब माला
पानी का क्यूँ मोल न जाना प्यास बुझाये क्या हाला ??

बढ़ा रसायन जल मैं जैसे , वो ही तो सारा कंटक
सावधान हो जाओ लोगो, मंडराया है जल संकट


संदीप पटेल"दीप"

//धरती के है ऊपर पानी ,धरती के है नीचे पानी
पानी की क्या कीमत भैया इंसानों ने ना पहचानी//

भाई संदीप जी,

पानी से सम्बंधित बहुत ही भावपूर्ण व सुन्दर रचना रची है आपने ! बहुत-बहुत बधाई मित्र !

 

दिए गए विषय से न्याय करती हुई बहुत सुन्दर कविता कही हाई भाई संदीप पटेल जी. वैसे थोडा सा ध्यान अगर और दिया जाता तो बहुत सुन्दर चौपाईयां बन जाती आपकी द्विपदीयों से. बहरहाल मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

संदीप जी , सूख गयी कई नदियाँ अब नाला बन कर
बंजर हो गयी धरा तपिश ये सह सह कर ,जल संकट पर बहुत बढ़िया कविता ,बधाई ,

पानी की महिमा का बखान, पानी रंग और भी बहुत कुछ दिखाया आपने अपनी इस रचना मे।
बधाई स्वीकार करें।

आदरणीय संदीप जी
इस कथ्य भाव ज्ञान समृद्ध कविता के लिए हार्दिक बधाई .
आपकी कलम से एक खूबसूरत ग़ज़ल अपेक्षित थी मुझे.
पुनः  बधाई इस कथ्य समृद्ध रचना पर.

आदरणीय संदीप जी, सादर 

पानी का इन्सैक्लोपिडिया दे दिया आपने. बधाई.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
5 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
17 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
19 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
23 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
23 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service