For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस बार का तरही मिसरा|
"उन्ही के कदमों में ही जा गिरा जमाना है"
वज्न: १२१२१२१२१२१२२२

काफिये के मामले में आप स्वतंत्र है बस इतना ध्यान रखें कि यह मिसरा पूरी ग़ज़ल में कहीं न कही ( मिसरा ए सानी या मिसरा ए ऊला में) ज़रूर आये|

मुशायरे कि शुरुवात शनिवार से की जाएगी| admin टीम से निवेदन है कि रोचकता को बनाये रखने के लिए फ़िलहाल कमेन्ट बॉक्स बंद कर दे जिसे शनिवार को ही खोला जाय|

विशेष : जो फ़नकार किसी कारण लाइव तरही मुशायरा में शिरकत नही कर पाए हैं
उनसे अनुरोध है कि वह अपना बहूमुल्य समय निकाल लाइव तरही मुशायरे की शोभा बढाएं|

Views: 3395

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत खूब आशीष भाई, आप के ग़ज़ल का इन्तजार था मुझे, अच्छी ग़ज़ल पढ़ा है आपने, ख्यालात भी अच्छे है,
Thank you baagi ji. Aap logo ka sneh bna rhe bs.
आशीष भाई ..आपकी इस दीवानगी भरी अदायगी के सब कायल हो चले है|
बड़े खूबसूरत शेर कह गए है आप

दफ अतन ही कभी मोहब्बत हो नहीं जाती|
प्यार की शमा को धीरे-धीरे जलाना है||

गैर हाज़िर में बसंत भी लगे उजाड़ जिनके|
साथ में मौसम-ए-खिंजा लगे सुहाना है||
rana ji yah to aap logo ki hi den hai ki mai bhi kuchh likh leta hu. aap log apna aashirwaad banaaye rakhe. mai aage bhi koshish karunga.
इक दीद से उनकी छलका हर पैमाना है.
उफ़ सनम की आँखें हैं या पूरा मयखाना है--

राह चलते जो देखें कभी वो पलटकर.
उन्ही के क़दमों में ही जा गिरा ज़माना है--

अपने रुख से दरबान हटा भी दे पर्दानशीं .
हम भी तो देखें जो कारुन का खजाना है--

'ताहिर' क्या बताएं क्यूँ नम हैं अरसे से.
उनकी आँखों में रहता बादल दीवाना है--
इक दीद से उनकी छलका हर पैमाना है.
उफ़ सनम की आँखें हैं या पूरा मयखाना है--

क्या बात कही है विवेक भाई, वाकई मजा आ गया, तरही शुरू होने के समय मुझे भी नहीं पता था कि इतना मजा आने वाला है, बढ़िया ग़ज़ल निकाला है आपने , दाद कबूल कीजिये ,
ताहिर भाई बहुत खूब ...बड़ी प्यारी ग़ज़ल से मुशायरे में पदार्पण किया है आपने...
हर शेर खूबसूरत है ....
taahir ji kya khoob sher kah gaye aap.
अपने रुख से दरबान हटा भी दे पर्दानशीं .
हम भी तो देखें जो कारुन का खजाना है-
बड़े भैया पिछली तरही में एक शेर कहा था

मुझे डर लगता है धरती का स्वर्ग नर्क ना हो
आज लोगो ने वहा पत्थर उठा रखा है
जिन्होंने आदमी को आदमी ना जाना है !
उन्हीं के कदमों में ही जा गिरा जमाना है !

कोई साकी है ना मीना है ना पैमाना है
तेरा वजूद सर से पाँव तक मैखाना है !

तू है दानिश तेरा अंदाज़ फलसफाना है
मैं कलंदर मेरा अंदाज़ सूफिआना है !

तेरी शतरंज,. तेरी चाल, मगर जिद मेरी
तेरे वजीर को पैदल से ही हराना है !

जमाना आ गया है अपने दरमियाँ, वर्ना
वो ही सर है तुम्हारा, वो ही मेरा शाना है !

उसको हैवानियत का दैत्य ही ना छोड़ेगा,
उसने इंसानियत को बरगुजीदा माना है !
,
इसी गरज में छोड़ पाऊँ न टूटे घर को,
कोई फकीर कह गया यहाँ खज़ाना है !

हाथ कंधे पे रख अर्जुन के कृष्ण जी बोले,
तुझे तो खून अपने खून का बहाना है !
हाथ कंधे पे रख अर्जुन के कृष्ण जी बोले,
तुझे तो खून अपने खून का बहाना है !

वाह वाह गुरुदेव, कमाल कह गये, खून अपने खून का बहाना है, बहुत ही उम्द्दा कारीगरी, बेहतरीन ग़ज़ल,
योगी सर आपकी ग़ज़ल के बिना तो यह मुशायरा सूना सूना सा था|

जिन्होंने आदमी को आदमी ना जाना है !
उन्हीं के कदमों में ही जा गिरा जमाना है !
वाह!!!!...मैंने कहीं पढ़ा था की ग़ज़ल सादगी की भाषा जानती है .....इससे सीधी सादी बात कोई क्या कहेगा......

इसी गरज में छोड़ पाऊँ न टूटे घर को,
कोई फकीर कह गया यहाँ खज़ाना है !

अद्भुत ख्याल .....बड़ी मासूमियत छुपी है इस शेर में....

दूसरा शेर पूरी तरह से सूफियाना रंगत लिए हुए है ...........

और तीसरे शेर में अपने खुद ही कबूल लिया है
बेहतरीन

अंत में गीता का सार निकल कर रख दिया है आपने.....
आपकी इसी चीज के तो हम कायल हैं|

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
20 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service