फूटा ठीकरा
शेख बच निकला
तू था मुहरा
ढूंढ़ बकरा
शनैः रेत लो गला
दे चारा हरा
बेजुबाँ खरा
हक माँगने लगा
तो दोष भरा
अना दोहरी
नश्तर सी चुभन
दगा अखरी!
यहाँ खतरा
ईश्वर हुआ अंधा
इन्सां बहरा
यार बिसरा
अब यहाँ क्या धरा
चलो जियरा
छटा कुहरा
छद्म बंधन मुक्त
पिया मदिरा
समा ठहरा
इंद्रधनुषी दुनिया
नशा गहरा
नेत्र बदरा
लगा झरझराने
रक्त बिखरा
नशा उतरा
आई घर की याद
बुझा चेहरा
Comment
सुन्दर सलोने हाईकू
विशेष बधाई
ashutosh ji, namaskaar. aapki dad mili, rachna dhanya ho gai.
माननीय सौरभ जी, सादर नमस्कार, आपकी नीर-क्षीर विवेचना सुन कर दिल आह्लादित हो उठा है. आपने जिस तरह से हाइकू की नब्ज़ें पकड़ी हैं, वह वास्तव मे एक उच्च कोटि का लेखक ही कर सकता है. अब जब मैं आपके सनिध्य मे आ ही गया हूँ, आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन की हमेशा अपेक्षा रहेगी. आपकी आलोचना ही मेरा उपहार रहेगा इस मंच पर. बाकी तो अभी इतनी तारीफ पचा सकने मे 1-2 दिन लगेगा. तब तक फूला फूला मन लिए घूमता रहूँगा.
आज का दिन मानों सँवर गया. उत्तम !
शिल्प, कथ्य, भाव, शब्द हर तरह से उच्च स्तर के इन दस हाइकुओं पर हुए आपके सुप्रयास हेतु पाठकीय अनुमोदन स्वीकार करें.
पहले तीन हाइकुओं की अंतर्धारा महीन किन्तु अत्यंत वेगवती है. इसके प्रवाह में देर तक बहना पाठकीय अभीष्ट सा है.
आखिरी हाइकू में निहित द्वैत भाव से अत्यंत अभिभूत हुआ हूँ, बधाई स्वीकार करें. बहुत ही गहरी कहन है. बहुत ही गहरी ! वाह !!
प्रयासरत रहें, राकेशजी. आपकी संभावनाओं भरी उपस्थिति से मंच के अमूमन सभी सदस्य अभिभूत हैं.
शुभेच्छाएँ.
मान्यवर बागी जी, सुप्रभात. आपने सही कहा. मैने भी इसे अपनी व्यक्तिगत अभिरुचि तक ही सीमित मान रहा हूँ. अच्छा लिखने का प्रयास जारी रहेगा.
भाई राकेश जी, एक बात स्पष्ट करना चाहता हूँ , ओ बी ओ पर झाड पर चढ़ाने का काम कभी नहीं हुआ है, यह साईट सीखने-सिखाने के लिये उचित मंच प्रदान करता है. रही बात रचना की तो मैं यही कहूँगा कि पसंद अपनी अपनी,
यदि भाई आनंद जी को कुछ कमी लग रही है तो खुल कर बतायें जिससे आप के साथ साथ हम सभी लाभान्वित हो सकें |
सादर |
मान्यवर आनंद जी, अब आप हमारे पक्के मित्र हो गये हैं, जो की मुझे उचित सलाह दे रहे हैं, आपका हर शब्द मेरे लिए विचारनीय है. रही बात जल्दी मे लिखने की, तो ऐसा नही है, काफ़ी वक्त लिया था मैने. पर मैं अब भी थोड़ा असमंजस मे हूँ कि कहीं योगराज जी और बागी जी मेरी झूठी तारीफ तो नही कर रहे. :)
बागी जी, आपकी तारीफ से मैं खुश बहुत हुआ हूँ, किंतु एक संदेह जो मान मे बैठ गया है, निकल ही नही रहा है. आप निदान करें. सादर धन्यवाद.
इस बात को साफ करना पड़ेगा नही तो मुझे इस मंच का पूर्ण लाभ नही मिल पाएगा. मुझे सिर्फ़ वाह-वाह करने से क्या फ़ायदा होगा. आप भद्र जन इस बात पर विचार करें, मेरी अच्छा लिखने की कोशिश जारी रहेगी. साभार.
५-७-५ वर्णों में कहानी रच देना, आसान नहीं होता, साथ में तुकांत निभाते हुए, बस एक शब्द, बेहतरीन , बधाई स्वीकार करें , अच्छी प्रस्तुति |
प्रदीप सर सादर, आपके आशीर्वाद हेतु पुनः नतमस्तक. अना दोहरी मतलब, दोहरा व्यक्तित्व.
माननीय योगी जी, वस्तुतः मैं सब को 'रा' से समाप्त करना चाह रहा हूँ. इसलिए असमंजस है की 'री' लाने पर "Odd man out" ना हो जाए. जब तक कुछ और ना ढूँढ लू, तब तक दोहरी ही लिखा लेता हूँ, व्याकरण संबंधी जानकारी के लिए धन्यवाद.
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