For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस बार का तरही मिसरा|
"उन्ही के कदमों में ही जा गिरा जमाना है"
वज्न: १२१२१२१२१२१२२२

काफिये के मामले में आप स्वतंत्र है बस इतना ध्यान रखें कि यह मिसरा पूरी ग़ज़ल में कहीं न कही ( मिसरा ए सानी या मिसरा ए ऊला में) ज़रूर आये|

मुशायरे कि शुरुवात शनिवार से की जाएगी| admin टीम से निवेदन है कि रोचकता को बनाये रखने के लिए फ़िलहाल कमेन्ट बॉक्स बंद कर दे जिसे शनिवार को ही खोला जाय|

विशेष : जो फ़नकार किसी कारण लाइव तरही मुशायरा में शिरकत नही कर पाए हैं
उनसे अनुरोध है कि वह अपना बहूमुल्य समय निकाल लाइव तरही मुशायरे की शोभा बढाएं|

Views: 3398

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

वाह भाई वाह !!! मन मिज़ाज से मुशायरे का मज़ा आ गया !!
"नज़र मिला के हमने तुमसे बस ये पाया है"
जिन्होंने कर्म को खुदा से बढ़के जाना है
उन्ही के कदमो में ही जा गिरा जमाना है

कि जिसका शौक रोते बच्चों को हँसाना है
वही सुना सका कलाम सूफियाना है

बड़े महल खड़े हैं झोंपड़ी के मुद्दे पर
तो झोंपड़ी का मुद्दा सिर्फ आबो दाना है

न जाने कैसे मेरी रूह जुड़ गई उससे
गले लगा मेरे दीवाने का दीवाना है

न आया ख़त कोई न पहुंचा है मनीऑडर
वो बूढी माँ को याद आया डाकखाना है

ग़मों कि धूप का नही है डर, मेरे ऊपर
बड़े बुजुर्गों कि दुआ का शामियाना है

तुम्हारी शख्सियत तो आज रुपये जैसी है
फ़क़त वजूद मेरा खोटा चार आना है
rana pratap ji paranaam,
aapne bhi ek ek ghazal ko hakikati andaaz diya hai. bahut maza aa raha hai mushaayare ma.
न आया ख़त कोई न पहुंचा है मनीऑडर
वो बूढी माँ को याद आया डाकखाना है
वाह वाह गज़ब कह डाला, मुशायरा मे जान डाल दी आप ने, क्या उच्चे ख्यालात है, बहुत खूब, अच्छी ग़ज़ल निकाला है आपने, बधाई स्वीकार करे राणा जी,
बहुत खूब राणा जी एक-एक शेर मोतियों जैसा किस का ज़िक्र करूं. नहले पर दहला ....
'न आया ख़त कोई न पहुंचा है मनीऑडर
वो बूढी माँ को याद आया डाकखाना है'
गांव की यादें ताज़ा हो गयीं.
तुली है बर्क नशेमन तबाह करने पर
हमें भी जिद है यहीं आशियाँ बनाना है

ये बोले अग्निपरीक्षा में राम लक्ष्मण से
वो बावफा है मगर उसको आज़माना है
वाह वाह...फौजान भाईजान दो शेरों से ही मुशायरा लूट ले जाने का इरादा है...
दोनों शेर अद्भुत है..और आपके तजुर्बे को बखूबी बयान कर रहे है|
एक इल्तिजा और है कि एक मतला भी कह कर इसे ग़ज़ल के फॉर्म में मुकम्मल कर दे ...और एक शेर गिरह का भी कह दे|
Bhai mohabbat hai aapki...koshish karta hun..Allah Hafiz
fauzaan ji pranaam,
do ho ghazalo me kya baat kahi hai aapne|
kuchh aur ghazle lekin aapko sunaana hai||
वाह भाई साहब वाह, बढ़िया शे'र निकाला है आपने,
क्या बात है ..इतने में इतना ..लाजवाब ...
लहू भी जिनका बस वतन के काम आना है
उन्ही के कदमों मे ही जा गिरा जमाना है,

तपे धरा कही अथाह बाढ़ का आना,
किसान सोचते कि मेघ भी दिवाना है,

छ्ला गया हरेक बार भावना में मैं,
दवा बता जहर दे वाह क्या जमाना है,

अजीब चेहरा मुझे दिख रहा सियासत का
समय पड़े गधे को बाप कह बुलाना है,

गुलो कि राह पे कभी नही चला "बागी"
इसे तो काँटों पे ही बिस्तरा लगाना है

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service